टाटा ट्रस्ट्स के सदस्यों के बीच मतभेद गहराने से विवाद बढ़ा

सूत्रों ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स के भीतर एक तरह से दो गुट बन गए हैं
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नयी दिल्ली : टाटा संस में करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट्स के सदस्यों के बीच निदेशक मंडल में नियुक्ति और कंपनी संचालन से संबंधित मुद्दों को लेकर आपसी मतभेद उभर आए हैं। सूत्रों ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स के भीतर एक तरह से दो गुट बन गए हैं। एक गुट की कमान नोएल टाटा के पास है जो रतन टाटा के निधन के बाद चेयरमैन बने थे। वहीं चार सदस्यों वाले दूसरे गुट की कमान मेहली मिस्त्री के पास है। मिस्त्री के संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से हैं जिसकी टाटा संस में करीब 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के निदेशक मंडल में नियुक्ति है। टाटा संस ही 156 वर्ष पुराने समूह का नियंत्रण करती है। समूह के भीतर 30 सूचीबद्ध कंपनियों सहित लगभग 400 कंपनियां हैं। सूत्रों ने बताया कि 11 सितंबर को हुई बैठक में इस विवाद की शुरुआत हुई थी जिसमें टाटा संस के निदेशक मंडल में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की पुनर्नियुक्ति पर विचार किया गया था।

ट्रस्टी की बैठक : सात में से छह ट्रस्टी की बैठक में चार ट्रस्टी—मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने प्रस्ताव का विरोध किया था जिससे यह रद्द हो गया था। हालांकि नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने इस पुनर्नियुक्ति का समर्थन किया था।बैठक के बाद चार ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड में नामित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विजय सिंह ने स्वेच्छा से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। टाटा ट्रस्ट्स की अगली बोर्ड बैठक 10 अक्टूबर को प्रस्तावित है, हालांकि उसका एजेंडा स्पष्ट नहीं है।

टिप्पणी करने से इनकार : इस बारे में संपर्क किए जाने पर टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस और वेणु श्रीनिवासन ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं मिस्त्री से कोई संपर्क नहीं किया जा सका।टाटा समूह के भीतर के कुछ लोगों का मानना है कि मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाला गुट नोएल टाटा की नेतृत्व क्षमता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब टाटा संस के सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित 30 सितंबर की समयसीमा खत्म हो चुकी है। कंपनी ने प्रमुख निवेश कंपनी (सीआईसी) के रूप में पंजीकरण स्वेच्छा से वापस लेने और 'गैरपंजीकृत सीआईसी' के रूप में जारी रखने का अनुरोध किया है।

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