एचबी1 वीजा
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अमेजन के बाद एच-1बी वीजा का दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी है टीसीएस

जून 2025 तक अमेजन के 10,044 और टीसीएच के 5,505 कर्मचारी एच-1बी वीजा का उपयोग कर रहे थे
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन : अमेरिका द्वारा एच1बी वीजा सालाना शुल्क बढ़ाने का असर उन भारतीय कर्मचारियों पर गहरा असर पड़ेगा जिन्हें प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी और अन्य कंपनियां एच1बी वीजा पर नियुक्त करती हैं, वहीं, इसका प्रभाव कहीं ना कहीं भारतीय आईटी दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर भी पड़ सकता है। 

अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 2025 तक 5,000 से अधिक स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ इस कार्यक्रम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है। जबकि अमेजन पहले स्थान पर है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) के अनुसार, जून 2025 तक अमेजन के 10,044 कर्मचारी एच-1बी वीजा का उपयोग कर रहे थे। दूसरे स्थान पर 5,505 स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ टीसीएस रही। अन्य शीर्ष लाभार्थियों में माइक्रोसॉफ्ट (5189), मेटा (5123), एप्पल (4202), गूगल (4181), डेलॉइट (2353), इंफोसिस (2004), विप्रो (1523) और टेक महिंद्रा अमेरिकाज (951) शामिल हैं।

ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का चौंका देने वाला वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य कार्यक्रम के ''व्यवस्थित दुरुपयोग'' को रोकना है। हालांकि, इस फैसले से अमेरिका में भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

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