

नयी दिल्ली : विपक्ष शासित राज्यों ने कहा कि केंद्र के जीएसटी दर में बदलाव के प्रस्ताव से लगभग 1.5 करोड़ रुपये से दो लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान हो सकता है। इन राज्यों ने केंद्र से खुद को होने वाले नुकसान की भरपाई करने की मांग की।
मांग करने वाले राज्य : आठ राज्यों - हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल - के वित्त मंत्रियों ने तीन-चार सितंबर को जीएसटी परिषद की होने वाली अगली बैठक में अपना प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया। दरों को युक्तिसंगत बनाने और राजस्व तटस्थता को संतुलित करने के उनके प्रस्ताव में मौजूदा कर भार को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित 40 प्रतिशत दर के अलावा अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का सुझाव दिया गया है। विपक्ष शासित राज्यों ने मांग की कि इस शुल्क से मिलने वाली आय राज्यों के बीच वितरित की जानी चाहिए।
15-20 प्रतिशत की कमी आने की आशंका : कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि प्रत्येक राज्य को अपने जीएसटी राजस्व में 15-20 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है। 20 प्रतिशत की कमी देश भर की राज्य सरकारों के राजकोषीय ढांचे को गंभीर रूप से अस्थिर कर देगी। राज्यों को राजस्व स्थिर होने तक पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए।
क्या है स्थिति : जब जीएसटी लागू किया गया था, तब राजस्व तटस्थ दर (आरएनआर) 14.4 प्रतिशत थी। बाद में कर दरों को युक्तिसंगत बनाने के बाद कराधान की शुद्ध दर घटकर 11 प्रतिशत हो गई। केंद्र के जीएसटी दरों को कम करने और स्लैब में कटौती करने के वर्तमान प्रस्ताव से कराधान की शुद्ध दर घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगी।
राजस्व हितों की रक्षा : बायरे गौड़ा ने कहा, राज्यों के राजस्व हितों की रक्षा की जानी चाहिए। अगर राज्य सरकार के राजस्व को गंभीर नुकसान होता है, तो लोग प्रभावित होंगे, विकास कार्य प्रभावित होंगे और अपर्याप्त राजस्व राज्य की स्वायत्तता को भी नुकसान पहुंचाएगा। केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि जीएसटी को पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत दर वाली दो स्तरीय कर संरचना बनाया जाए। इसके अलावा अहितकर और विलासिता वाली कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की दर प्रस्तावित की गई है।