

नयी दिल्ली : बाजार नियामक सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) पंजीकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने को लेकर सक्रियता से काम कर रहा है। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि इसका उद्देश्य पंजीकरण की समयसीमा को महीनों से घटाकर कुछ दिनों में लाना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि आंकड़ों की गोपनीयता संबंधी चिंता का उचित समाधान किया जाए।
सेवा की गुणवत्ता : सेवा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए, सेबी एफपीआई पंजीकरण के लिए एक दूसरा मंच भी तैयार कर रहा है। इसे वर्तमान में सीडीएसएल विकसित कर रहा है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ने के बावजूद विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
विदेशी निवेशक भारत के पूंजी बाजारों के केंद्र में : गोल्डमैन शैक्स के 14वें भारत सीआईओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए पांडेय ने कहा कि विदेशी निवेशक भारत के पूंजी बाजारों के केंद्र में बने हुए हैं। 1992 में जब से भारत ने एफपीआई के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, पोर्टफोलियो प्रवाह ने 9.3 प्रतिशत का विस्तारित आंतरिक रिटर्न (एक्सआईआरआर) दिया है। एक्सआईआरआर किसी निवेश पर वार्षिक रिटर्न दर को बताता है। एफपीआई सितंबर, 2025 तक 876 अरब डॉलर मूल्य की संपत्ति का प्रबंधन कर रहे थे। उनकी सूचीबद्ध कंपनियों में लगभग 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
बाजार पहुंच : सेबी बाजार पहुंच को और भी सुगम बनाने के तरीकों पर विचार कर रहा है। नियामक इस बात पर भी विचार कर रहा है कि क्या एफपीआई के लिए एक दिन में किए गए सभी कारोबार के लिए शुद्ध रूप से निपटान की अनुमति दी जा सकती है। यह एक परिचालन बदलाव है जिससे लागत कम हो सकती है, क्योंकि एफपीआई को वर्तमान में प्रत्येक कारोबार के लिए डिलिवरी देनी और लेनी होती है। सेबी इन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।