निवेशक संपत्ति के संरक्षकों के लिए सेबी ने नियमों में बदलाव किए

नए प्रावधानों को पूरा करने के लिए तीन साल का समय मिलेगा
सेबी
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नयी दिल्ली : सेबी ने संरक्षकों के लिए न्यूनतम नेटवर्थ यानी शुद्ध संपत्ति की शर्त को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये कर दिया है। इसका उद्देश्य संरक्षकों के जोखिम प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि मौजूदा संरक्षकों को शुद्ध संपत्ति संबंधी नए प्रावधानों को पूरा करने के लिए तीन साल का समय मिलेगा। संरक्षक निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा और रखरखाव का जिम्मा संभालने वाला व्यक्ति या संस्था होता है। यह निवेशक के शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड एवं अन्य निवेशों को सुरक्षित रखने के साथ उसके खाते का सही रिकॉर्ड भी रखता है। 

बढ़ानी होगी : सेबी ने अधिसूचना में कहा, जिस संरक्षक को 2025 के संशोधित नियम लागू होने से पहले पंजीकरण प्रमाणपत्र मिल चुका है, उसे तीन साल के भीतर अपनी शुद्ध संपत्ति कम से कम 75 करोड़ रुपये तक बढ़ानी होगी। यह शर्त हर गतिविधि के लिए अलग-अलग और स्वतंत्र रूप से लागू होगी।

कई जिम्मेदारियां तय की : सेबी ने संरक्षकों के लिए कई जिम्मेदारियां भी तय की हैं। इनमें उपयुक्त संचालन ढांचा, जोखिम प्रबंधन नीतियां, तकनीकी क्षमता और ढांचागत क्षमता शामिल हैं। सेबी ने संरक्षकों को किसी भी तरह की अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचने और ग्राहकों या अन्य संरक्षकों को नुकसान पहुंचाने से रोकने का निर्देश भी दिया है।

बयान बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देना चाहिए : सेबी ने कहा, "संरक्षक को अपनी पात्रता या सेवाओं के बारे में ग्राहकों से कोई भी बयान बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देना चाहिए। उन्हें आंतरिक नियंत्रण प्रक्रियाओं, वित्तीय एवं संचालन क्षमता का ध्यान रखना होगा ताकि चोरी, धोखाधड़ी, व्यावसायिक गड़बड़ी या अन्य दोषपूर्ण कृत्यों से सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।"

ग्राहकों के हितों की सुरक्षा : संरक्षक फर्मों के सभी निदेशक और प्रमुख प्रबंधन अधिकारी हमेशा उपयुक्त एवं विश्वसनीय होने चाहिए। उन्हें सेबी के साथ सहयोग करना होगा तथा ग्राहकों के हितों की सुरक्षा भी करनी होगी।

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