

नयी दिल्ली : सरकार ने निर्यातकों को वैश्विक बाजारों तक बेहतर पहुंच दिलाने के इरादे से 4,531 करोड़ रुपये की बाजार पहुंच समर्थन योजना शुरू की। इसके तहत निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और खरीदारों से सीधे संपर्क से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
भारतीय निर्यातक दबाव में : यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारतीय निर्यातक अमेरिका द्वारा लगाए गए लगभग 50 प्रतिशत आयात शुल्क के कारण दबाव में हैं। यह योजना सरकार के 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन मिशन का हिस्सा है।वर्ष 2025 से 2031 के बीच इस योजना पर 4,531 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये अलग से निर्धारित किए गए हैं।
संगठित वित्तीय और संस्थागत सहयोग : विदेश व्यापार महानिदेशक अजय भादू ने कहा कि योजना के तहत खरीदारों और विक्रेताओं की बैठक, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों और विदेशी खरीदारों के भारत आकर स्थानीय निर्यातकों से सीधे बातचीत करने वाले आयोजनों के लिए संगठित वित्तीय और संस्थागत सहयोग दिया जाएगा। निर्यातकों को बेहतर योजना बनाने में मदद के लिए प्रमुख बाजार पहुंच कार्यक्रमों का तीन से पांच वर्ष का अग्रिम कार्यक्रम पहले ही मंजूर किया जाएगा। इससे बाजार विकास के प्रयासों में निरंतरता बनी रहेगी।
MSME की भागीदारी : समर्थित कार्यक्रमों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) की कम-से-कम 35 प्रतिशत भागीदारी अनिवार्य होगी। इसके साथ नए देशों और छोटे बाजारों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि निर्यात के अवसर बढ़ाए जा सकें। योजना के तहत प्रतिनिधिमंडल में न्यूनतम 50 प्रतिभागियों का मानक रखा गया है। इसके अलावा, जिन छोटे निर्यातकों का पिछले वर्ष का निर्यात कारोबार 75 लाख रुपये तक रहा है, उन्हें अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने के लिए आंशिक हवाई किराया सहायता भी दी जाएगी।