आरबीआई ने ऋण देने का नया मसौदा जारी किया

अधिक ऋण स्वीकृति के लिए बैंक के निदेशक मंडल या उसकी समिति की मंजूरी लेनी अनिवार्य होगी
आरबीआई
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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण देने के लिए नया ढांचा जारी करने का प्रस्ताव रखा। इसका मकसद बैंकों के लिए सूझबूझ सुनिश्चित करने के साथ परिचालन में लचीलापन बनाए रखना है। आरबीआई ने मसौदा ‘भारतीय रिजर्व बैंक (संबंधित पक्षों को उधारी) निर्देश, 2025’ जारी किया है जिसमें पैमाने के आधार पर सीमा तय की गई है। इससे अधिक ऋण स्वीकृति के लिए बैंक के निदेशक मंडल या उसकी समिति की मंजूरी लेनी अनिवार्य होगी। प्रस्ताव के मुताबिक, जिन बैंकों की परिसंपत्ति का आकार 10 लाख करोड़ रुपये है, उन्हें 50 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण पर निदेशक मंडल की स्वीकृति लेनी होगी।

सीमा : एक लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ रुपये तक परिसंपत्ति वाले बैंकों के लिए यह सीमा 10 करोड़ रुपये और एक लाख करोड़ रुपये से कम परिसंपत्ति वाले बैंकों के लिए यह सीमा पांच करोड़ रुपये तय की गई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि संबंधित पक्षों को ऋण देने से हितों के टकराव या नैतिक जोखिम जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो बैंक एवं उसके अन्य हितधारकों के लिए नुकसानदेह है। आरबीआई ने मसौदे पर सार्वजनिक एवं हितधारकों की टिप्पणियां 31 अक्टूबर 2025 तक आमंत्रित की हैं। आरबीआई ने कहा कि बैंकों द्वारा अपने संबंधित या संबद्ध पक्षों को ऋण देना उनके और अन्य संबंधित पक्षों के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब उधार लेने वाला पक्ष बैंक में हिस्सेदारी रखता हो या फिर ऋण निर्णयों को प्रभावित करने की क्षमता रखता हो।

आवंटन पर सख्त नियम : वैश्विक स्तर पर भी ऐसे ऋणों के आवंटन पर सख्त नियम हैं, क्योंकि वे हितों के टकराव और नैतिक जोखिम की स्थिति पैदा कर सकते हैं। बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 पहले से ही बैंकों को उनके निदेशकों और उनसे जुड़े संस्थानों को ऋण देने पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाता है। इसके अलावा निदेशकों के रिश्तेदारों, अन्य बैंकों के निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों से संबंधित संस्थाओं को ऋण देने पर भी अलग-अलग नियम जारी किए गए हैं।मसौदे में कहा गया है कि संबंधित पक्ष केवल निदेशक या उनके रिश्तेदार तक सीमित नहीं होते, बल्कि कई अन्य संस्थाएं भी इसमें शामिल हो सकती हैं। लिहाजा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दिए गए ऐसे ऋण अब भी नियामकीय चिंता का विषय हैं।आरबीआई ने कहा कि प्रस्तावित निर्देशों का उद्देश्य सभी वाणिज्यिक बैंकों के लिए संशोधित और समरूप नियामकीय ढांचा तैयार करना है, जिससे इन जोखिमों को व्यापक रूप से संबोधित किया जा सके।

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