शेयर ब्रोकरों के लिए नियमों में सुधार का प्रस्ताव

एल्गो ट्रेडिंग की परिभाषा भी तय होगी
शेयर ब्रोकरों के लिए नियमों में सुधार का प्रस्ताव
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नयी दिल्ली : अनुपालन का बोझ कम करने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकरों से संबंधित नियमों में सुधार के तहत ‘एल्गो ट्रेडिंग’ की परिभाषा तय करने का प्रस्ताव रखा। सेबी ने इस प्रस्ताव पर तीन सितंबर तक सार्वजनिक रूप से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इन प्रस्तावों का उद्देश्य अनुपालन को सरल, आसान और कम लागत वाला बनाने के साथ ही निवेशक संरक्षण और उद्योग में भरोसा बढ़ाते हुए इसके विकास को प्रोत्साहन देना है।

क्या है एल्गो ट्रेडिंग : ‘एल्गो ट्रेडिंग’ का मतलब ऐसे किसी भी शेयर लेनदेन ऑर्डर से होगा जो स्वचालित निष्पादन तंत्र के जरिये तैयार या जारी किया गया हो। मौजूदा नियमों में अभी तक इसकी कोई परिभाषा तय नहीं है।

अन्य प्रस्ताव : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ‘सिर्फ निष्पादन मंच’ (ईओपी) की भी परिभाषा सुझाई है, जिसके तहत ऐसे डिजिटल या ऑनलाइन मंच आएंगे जो म्यूचुअल फंड की प्रत्यक्ष निवेश योजनाओं में खरीद, बिक्री और दूसरी योजना में निवेश जैसी सुविधा दें। इसके अलावा सेबी ने शेयर ब्रोकरों को सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए प्रचलित समझौता-आधारित आदेश मिलान मंच 'एनडीएस-ओएम' तक पहुंच देने का भी प्रस्ताव रखा है। यह सुविधा फिलहाल बैंकों और प्राथमिक डीलरों को ही मिली हुई है। प्रस्तावित ढांचे में ब्रोकरों की जिम्मेदारियों में निवेशकों के धन एवं प्रतिभूतियों की सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन, आंतरिक नियंत्रण और मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र शामिल होंगे। पात्र स्टॉक ब्रोकरों (क्यूएसबी) के लिए दायित्व भी बढ़ाने की बात कही गई है।

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