

नयी दिल्ली : समूह खेती की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुझाव दिया है कि छोटे और सीमांत किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए अधिक मूल्य वाली फसलें उगाने और छोटे खेतों को मिलकर बड़ी जोत तैयार करने पर विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के साथ बातचीत की। किसानों के साथ यह संवाद 35,440 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली कृषि क्षेत्र की दो प्रमुख योजनाओं का शुभारंभ करने से पहले हुआ। इस मौके पर मोदी ने 24,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और 11,440 करोड़ रुपये के दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया।
किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह : संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह किया। विभिन्न राज्यों के कई किसानों ने प्रधानमंत्री के साथ अपने अनुभव साझा किए। मध्य प्रदेश के जबलपुर के एक युवा उद्यमी ने अपनी एरोपोनिक आधारित आलू बीज खेती का प्रदर्शन किया, जिसमें आलू बिना मिट्टी के ऊर्ध्वाधर संरचनाओं में उगाए जाते हैं। इसे देखकर मोदी ने मजाकिया अंदाज में इसे ‘जैन आलू’ कहा, क्योंकि ऐसी उपज जैन धर्म को मानने वालों के आहार नियमों के अनुरूप हो सकती है, जो जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों से परहेज करते हैं।
दलहन की खेती आय बढ़ाती है : हरियाणा के हिसार जिले के एक किसान ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले काबुली चना उगाना शुरू किया था और अब तक प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल उपज प्राप्त कर चुके हैं। चना जैसे दलहन उगाने से न केवल अच्छी फसल मिलती है, बल्कि मिट्टी को नाइट्रोजन से भी समृद्ध किया जाता है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि दलहन की खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि देश की पोषण सुरक्षा में भी योगदान देती है।