दो-स्तरों वाले सत्यापन के लिए एसएमएस ओटीपी के अलावा अन्य विकल्प भी अपनाए जा सकेंगे

डिजिटल भुगतान के नए नियमों की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक
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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान के नए नियमों की घोषणा करते हुए कहा कि दो-स्तरों वाले सत्यापन के लिए अब एसएमएस ओटीपी के अलावा अन्य विकल्प भी अपनाए जा सकेंगे।डिजिटल भुगतान को अधिक सुरक्षित बनाने के मकसद से लाए गए ये नियम एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।भुगतान सत्यापन के कारकों में ‘उपयोगकर्ता के पास मौजूद कोई वस्तु’, ‘उपयोगकर्ता को ज्ञात कोई चीज’ या ‘उपयोगकर्ता की कोई पहचान’ शामिल हो सकता है। इसमें मोबाइल पर एसएमएस के जरिये आने वाले ओटीपी के अलावा पासवर्ड, पासफ्रेज, पिन, कार्ड हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर टोकन, फिंगरप्रिंट या अन्य बायोमेट्रिक तरीके शामिल हो सकते हैं। एसएमएस-ओटीपी का उपयोग पहले की ही तरह जारी रहेगा।

दो स्तरों वाले सत्यापन पर जोर : भारत ऐसे देशों में शामिल है जो दो स्तरों वाले सत्यापन पर जोर देता है। हालांकि वित्तीय संस्थान अब तक लेनदेन के लिए मुख्य रूप से एसएमएस अलर्ट पर ही निर्भर थे।आरबीआई ने ‘डिजिटल भुगतान लेनदेन की सत्यापन प्रणाली संबंधी निर्देश, 2025’ जारी किए हैं जिसमें दो-स्तरीय सत्यापन को अनिवार्य रखने के साथ वैकल्पिक प्रमाणीकरण की अनुमति भी दी गई है।

जोखिम प्रबंधन : नए नियमों के तहत कम-से-कम एक प्रमाणीकरण कारक हरेक लेनदेन के लिए विशिष्ट एवं नया होना चाहिए। भुगतान प्रणाली को मजबूत होना चाहिए ताकि किसी एक कारक की सुरक्षा में कमी अन्य कारकों की विश्वसनीयता को प्रभावित न करे।आरबीआई ने कहा कि जोखिम प्रबंधन के दृष्टिकोण से वित्तीय संस्थान लेनदेन का मूल्यांकन लेनदेन स्थान, उपयोगकर्ता व्यवहार, डिवाइस विशेषताएं और इतिहास जैसे संदर्भगत पहलुओं के आधार पर कर सकते हैं।

अतिरिक्त जांच : उच्च जोखिम वाले लेनदेन के लिए अतिरिक्त जांच की जा सकती है और सूचनाओं एवं पुष्टि के लिए डिजिटल लॉकर का उपयोग किया जा सकता है।रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर इन निर्देशों का पालन न करने की वजह से कोई आर्थिक नुकसान होता है तो जारीकर्ता को उसका पूरा मुआवजा ग्राहक को देना होगा।इसके साथ ही कार्ड जारीकर्ताओं को एक अक्टूबर, 2026 से विदेशी प्रतिष्ठान द्वारा किए गए जाने गैर-आवर्ती, सीमापार कार्ड-नॉट-प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेन के लिए भी सत्यापन व्यवस्था लागू करनी होगी।

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