नयी दिल्ली : मोबाइल-टैबलेट अब हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गये हैं। इनके खरीदारों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। सरकार जल्द ही ऐसी व्यवस्था लाने वाली है कि उन्हें किसी भी ब्रांड का फोन या टैबलेट खरीदने से पहले पता होगा कि वह खरीदने के बाद अगर खराब होता है तो वह रिपेयर होगा या नहीं? मोबाइल, टैब का कौन सा पार्ट रिपेयर किया जा सकता है और किसे नहीं, अगर रिपेयर होगा तो ठीक होने का कितना फीसदी चांस होगा। दरअसल, सरकार द्वारा गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि इलेक्ट्रिानिक इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट पर उत्पाद श्रेणी में मरम्मत क्षमता सूचकांक (रिपेयरबिलिटी इंडेक्स) की खुद घोषणा करें, ताकि ग्राहकों को इस बारे में पूरी जानकारी मिल सके। समिति के सुझावों के अनुसार मैन्युफैक्चर को इस इंडेक्स पर इक्विपेंट को रेटिंग देनी होगी। इससे पता चलेगा कि इक्विपमेंट के खराब होने पर उसकी मरम्मत की संभावना कितनी है। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में मरम्मत क्षमता सूचकांक के लिए गठित समिति ने उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अभी स्मार्टफोन और टैबलेट की मरम्मत में उपभोक्ताओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जांच के बाद जारी किये जाएंगे दिशानिर्देश : खरे ने पहले कहा था कि मंत्रालय सिफारिशों की जांच करेगा और उसके अनुसार कुछ दिशानिर्देश जारी करेगा। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सितंबर 2024 में अतिरिक्त सचिव भरत खेड़ा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। समिति ने कहा कि मूल उपकरण विनिर्माताओं को बिना किसी अतिरिक्त अनुपालन बोझ के मानक अंक मानदंडों के आधार पर मरम्मत क्षमता सूचकांक की घोषणा करनी होगा।
मरम्मत क्षमता क्यूआर कोड में दर्शाना होगा
इसके अलावा, समिति ने सुझाव दिया कि मरम्मत क्षमता सूचकांक को दुकानों, ई-कॉमर्स मंचों और उत्पादों पर क्यूआर कोड के रूप में दर्शाना चाहिए। बयान में कहा गया कि समिति की सिफारिशें उद्योग में नवाचार और कारोबारी सुगमता में किसी भी बाधा के बिना सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुसार तैयार की गई हैं।