

मुंबई : बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकर से जुड़े नियमों में व्यापक सुधार को मंजूरी दे दी। अनुपालन को आसान बनाने और बाजार की बदलती जरूरतों के अनुरूप नियामकीय ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए तीन दशक पुराने नियमों में बदलाव किए गए हैं।भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में सेबी (शेयर ब्रोकर) विनियम, 2025 को मंजूरी दी गई।
नियमों को 11 अध्यायों में विभाजित किया गया : नए विनियमों में नियामकीय भाषा को सरल किया गया है, पुराने और अप्रासंगिक प्रावधान हटा दिए गए हैं और परिभाषाओं एवं रिपोर्टिंग जरूरतों को अधिक स्पष्ट और सुव्यवस्थित किया गया है। नए ढांचे में शेयर ब्रोकरों से जुड़े सभी प्रमुख पहलुओं को शामिल करते हुए नियमों को 11 अध्यायों में विभाजित किया गया है। सेबी ने कई ऐसे अनुसूचियों को हटा दिया है, जिनकी अब जरूरत नहीं थी। वहीं जरूरी प्रावधानों को सीधे अध्यायों के रूप में नियमों में शामिल किया गया है, ताकि आसानी से समझ में आ सके।
अन्य बदलाव : इसके अलावा, अंडरराइटिंग, आचार संहिता और शेयर ब्रोकरों को अनुमति प्राप्त गतिविधियों से जुड़े प्रावधानों को एकीकृत और पुनर्व्यवस्थित किया गया है।नियामक ने ‘क्लियरिंग मेंबर’, ‘प्रोफेशनल क्लियरिंग मेंबर’, ‘प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग’, और ‘डिज़िग्नेटेड डायरेक्टर’ जैसी अहम परिभाषाओं में भी संशोधन किया है।अनुपालन को सरल बनाने और कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए सेबी ने संयुक्त निरीक्षण की अनुमति दी है और बही-खातों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की सुविधा भी दी है।
पहचान के मानदंडों को तर्कसंगत बनाया : पात्र शेयर ब्रोकर की पहचान के मानदंडों को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि जिन संस्थाओं के पास बड़ी संख्या में सक्रिय ग्राहक या अधिक ट्रेडिंग मात्रा है, उन्हें कड़ी निगरानी में रखा जा सके। पहली पंक्ति के नियामक के रूप में शेयर बाजारों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए रिपोर्टिंग दायित्वों में बदलाव किया गया है।
पुराने प्रावधान हटा दिए गए :इसी के साथ शेयरों की भौतिक डिलीवरी, अग्रिम बाजार आयोग और सब-ब्रोकर से जुड़े पुराने प्रावधान हटा दिए गए हैं।सेबी ने कहा कि नए नियमों में पन्नों की संख्या 59 से घटाकर 29 कर दी गई है और शब्दों की संख्या भी लगभग आधी कर दी गई है। ये बदलाव अगस्त में हुई सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया से मिले सुझावों को शामिल करने के बाद किए गए हैं।