

नयी दिल्ली : तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद मजबूत घरेलू निवेशक समर्थन और सुदृढ़ व्यापक आर्थिक स्थिति, खासकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर में तेजी से इस वर्ष शेयर बाजारों ने मजबूत प्रदर्शन किया। विदेशी निवेशकों की निकासी, शुल्क से जुड़ी अनिश्चितताएं, ऊंचे मूल्यांकन और रुपये की कमजोरी जैसी कई चुनौतियों के बावजूद बीएसई के मानक सूचकांक सेंसेक्स में आठ प्रतिशत से अधिक की बढ़त से इस साल दलाल स्ट्रीट के निवेशकों की संपत्ति 30.20 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई। इनक्रेड वेल्थ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नितिन राव ने कहा, ‘ विदेशी निवेशकों की निकासी एक चुनौती बनी रही, इसके बावजूद बाजार की मजबूती स्पष्ट दिखी। 2025 में भारतीय बाजार के प्रमुख कारकों में मजबूत घरेलू निवेशक समर्थन शामिल रहा।’
क्या रही स्थिति : बीएसई का सेंसेक्स 29 दिसंबर तक 6,556.53 अंक यानी 8.39 प्रतिशत चढ़ा। एक दिसंबर को इसने 86,159.02 के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ। इस साल अब तक बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 30,20,376.68 करोड़ रुपये बढ़कर 4,72,15,483.12 करोड़ रुपये (करीब 5250 अरब अमेरिकी डॉलर) हो गया। बीएसई में शामिल कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले साल अप्रैल में पहली बार 400 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गया था। एनरिच मनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पोन्मुदी आर. ने कहा कि 2025 को भारतीय शेयरों के लिए समेकन और बदलाव का वर्ष कहा जा सकता है। कई वर्षों तक दोहरे अंक के मजबूत ‘रिटर्न’ के बाद इस साल मानक सूचकांकों में अपेक्षाकृत सीमित बढ़त रही। सेंसेक्स और निफ्टी में साल भर में करीब 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वैश्विक प्रतिकूलताओं, विदेशी पूंजी की निकासी और मूल्यांकन में सुधार के बीच यह प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा।
धारणा सतर्क बनी रही : स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि घरेलू स्तर पर बाजारों को कमजोर कॉरपोरेट आय वृद्धि, ऊंचे मूल्यांकन, रुपये की कमजोरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार निकासी का सामना करना पड़ा जिससे स्थिर व्यापक आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद धारणा सतर्क बनी रही। वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव, शुल्क से जुड़ी अनिश्चितताएं और अमेरिका के केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों को लेकर बदलती अपेक्षाओं का बाजारों पर असर पड़ा।
रिकॉर्ड निकासी : विदेशी निवेशकों ने 2025 में शेयर बाजार से रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये (करीब 18 अरब अमेरिकी डॉलर) की निकासी की। स्टॉक्सकार्ट के निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रणय अग्रवाल ने कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि, सरकार के पूंजीगत व्यय एवं घरेलू निवेशकों के सतत निवेश से बाजारों को सहारा मिला। हालांकि, विदेशी पूंजी की निकासी, ऊंचे मूल्यांकन और वैश्विक जोखिम से बचाव की प्रवृत्तियों के कारण समय-समय पर उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
IPO की रिकॉर्ड संख्या : इस साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (IPO) की रिकॉर्ड संख्या ने भी बाजार को मजबूती दी। प्रमुख आईपीओ में टाटा कैपिटल का 15,512 करोड़ रुपये का निर्गम सबसे आगे रहा। इसके बाद एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (12,500 करोड़ रुपये), एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (11,607 करोड़ रुपये), हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज (8,750 करोड़ रुपये), लेंसकार्ट सॉल्यूशंस (7,278 करोड़ रुपये) और बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स (6,632 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। अग्रवाल ने कहा कि व्यवस्थित निवेश योजनाओं में लगातार प्रवाह, खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी एवं दीर्घकालिक वृद्धि की कहानी में भरोसे ने वैश्विक अस्थिरता के दौरान भी बाजार को स्थिरता प्रदान की।
बाजार पूंजीकरण : रिलायंस इंडस्ट्रीज बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रही जिसका बाजार पूंजीकरण 20,91,173 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद एचडीएफसी बैंक (15,25,457.75 करोड़ रुपये), भारती एयरटेल (11,86,978.75 करोड़ रुपये), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (11,77,199.05 करोड़ रुपये) और आईसीआईसीआई बैंक (9,60,478.36 करोड़ रुपये) शीर्ष पांच में शामिल रहीं। सेंसेक्स 2024 में 5,898.75 अंक या 8.16 प्रतिशत चढ़ा था और बीएसई में शामिल कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 77.66 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 4,41,95,106.44 करोड़ रुपये हो गया था। बाजार पूंजीकरण 2023 में 81.90 लाख करोड़ रुपये बढ़ा था। एसबीआई सिक्योरिटीज के मौलिक शोध प्रमुख सनी अग्रवाल ने कहा कि 2020-24 के दौरान मजबूत रिटर्न के बाद 2025 समेकन और औसत की ओर लौटने का वर्ष रहा। कुछ क्षेत्रों में ऊंचे मूल्यांकन, आय में सुस्ती एवं बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं से 2025 की पहली तिमाही में बाजार में सुधार आया जिसके बाद अप्रैल से बड़ी कंपनियों में धीरे-धीरे ‘रिकवरी’ देखने को मिली।