

नयी दिल्ली : साल 2026 में भारत की विदेशी पूंजी की आमद बढ़ने की उम्मीद है। भारत सरकार द्वारा मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे, बड़े निवेश प्रस्तावों, कारोबारी सुगमता में सुधार के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों और निवेश से जुड़े नए दौर के व्यापार समझौतों को इसका कारण बताया जा रहा है। भारत को आकर्षक और निवेशकों के अनुकूल गंतव्य बनाए रखने के लिए सरकार FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नीति की लगातार समीक्षा करती है और हितधारकों से व्यापक परामर्श के बाद समय-समय पर इसमें बदलाव करती रहती है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने इस वर्ष FDI को बढ़ावा देने के तरीकों पर हितधारकों के साथ कई बैठकें की हैं। नवंबर में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी प्रक्रियाओं को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाकर अधिक निवेश आकर्षित करने पर विचार-विमर्श किया था। निवेशकों के अनुकूल नीतियां और नियामक प्रक्रियाएं, निवेश पर मजबूत प्रतिफल, कुशल कार्यबल, अनुपालन बोझ में कमी, उद्योग से जुड़े छोटे अपराधों का अपराधमुक्तिकरण और मंजूरी प्रक्रियाओं का सरलीकरण ऐसे प्रमुख उपाय हैं, जिनके कारण वैश्विक चुनौतियों के बावजूद विदेशी निवेशकों का ध्यान भारत पर बना हुआ है।
कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 80.5 अरब डॉलर पार
वित्त वर्ष 2024-25 में वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 80.5 अरब डॉलर को पार कर गया है। जनवरी-अक्टूबर 2025 के दौरान सकल विदेशी निवेश 60 अरब डॉलर से अधिक रहा। DPIIT के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के कारण पिछले 11 वर्षों में भारत ने उल्लेखनीय निवेश आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में यह अब तक के उच्चतम स्तर 80.62 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हमें उम्मीद है कि इस वर्ष (2026) FDI पिछले वर्ष के 80.62 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है।
चार यूरोपीय देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते
भारत 4 देशों के यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते पर भी भरोसा कर रहा है, जिसके तहत इस समूह ने 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह समझौता एक अक्टूबर 2025 से लागू हुआ और इसके लागू होने के दिन ही स्विट्जरलैंड की स्वास्थ्य सेवा कंपनी रोश फार्मा ने अगले पांच वर्षों में भारत में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 17,000 करोड़ रुपये) निवेश करने की घोषणा की।
नीतिगत स्थिरता और आर्थिक वृद्धि बनी प्रमुख वजह
सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधार, ईज़-ऑफ़-डूइंग-बिज़नेस में सुधार और स्थिर आर्थिक वृद्धि दर ने भी FDI प्रवाह को गति देने में अहम भूमिका निभाई है। विनिर्माण, ऊर्जा, रक्षा, रिटेल और तकनीक जैसे क्षेत्रों में विदेशी कंपनियां बड़े अवसर देख रही हैं। साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव’ (PLI) जैसी पहलें वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को पसंदीदा बाजार के रूप में स्थापित कर रही हैं।
भारत के लिए निर्णायक वर्ष साबित हो सकता है अगला वर्ष
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अगला वर्ष भारत के लिए निर्णायक साबित होगा। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का मजबूत घरेलू बाजार और स्थिर नीतिगत ढांचा विदेशी निवेश के लिए सुरक्षित और लाभकारी वातावरण तैयार करता है। यदि वर्तमान रुझान जारी रहे, तो 2026 भारत के लिए FDI वृद्धि होगी, जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में बड़ा योगदान देगा।