भारत का कोयला आयात 13.54 प्रतिशत बढ़ा

कोकिंग कोयले का आयात एक साल पहले के 33.9 लाख टन की तुलना में बढ़कर 45 लाख टन हो गया
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नयी दिल्ली : त्योहारी सीजन से पहले शुष्क ईंधन की बढ़ती मांग के कारण सितंबर में देश का कोयला आयात 13.54 प्रतिशत बढ़कर 2.20 करोड़ टन पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में कोयला आयात 1.94 करोड़ टन कोयले रहा था। सितंबर में गैर-कोकिंग कोयले का आयात 1.39 करोड़ टन रहा, जो सितंबर, 2024 के 1.32 करोड़ टन के आंकड़े से थोड़ा अधिक है।इस्पात क्षेत्र के लिए आवश्यक कोकिंग कोयले का आयात एक साल पहले के 33.9 लाख टन की तुलना में बढ़कर 45 लाख टन हो गया। एमजंक्शन सर्विसेज द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर, 2025 की अवधि के लिए, गैर-कोकिंग कोयले का आयात पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 9.19 करोड़ टन से घटकर 8.60 करोड़ टन रह गया, जबकि कोकिंग कोयले का आयात 2.81 करोड़ टन से बढ़कर 3.15 करोड़ टन हो गया।

क्या रहा कारण : एमजंक्शन के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनय वर्मा ने कहा, त्योहारों के मौसम से पहले खरीदारों द्वारा खरीदारी बढ़ाने के कारण मात्रा में वृद्धि हुई है। इस्पात मिलों की ओर से सर्दियों में पुनः भंडारण की मांग से आगे चलकर कोकिंग कोयले के आयात में तेजी आने की उम्मीद है।क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि धातुकर्म और औद्योगिक कोयले की मांग में मजबूती, विशेष रूप से इस्पात मिलों से, इस वर्ष बिजली क्षेत्र की खरीद में मौसमी कमजोरी को कम कर देगी।

आयात पर अपनी निर्भरता : भारत विभिन्न सरकारी पहल के माध्यम से घरेलू कोयला उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाकर कोयला आयात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। फिर भी, देश अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं, विशेष रूप से उच्च-श्रेणी के तापीय कोयले और कोकिंग कोयले के लिए आयात पर निर्भर बना हुआ है, जो इस्पात जैसे उद्योगों के लिए आवश्यक हैं और जिनकी घरेलू स्तर पर कमी है।

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