

नयी दिल्ली : विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत 2026 में मजबूत स्थिति बनाए रखने की राह पर है जहां मजबूत वृद्धि, कम मुद्रास्फीति एवं सुदृढ़ बैंकिंग प्रदर्शन जैसे अनुकूल कारक मौजूद हैं। केंद्र सरकार से जीवन सुगमता एवं कारोबार सुगमता के विषयों को आगे बढ़ाते हुए आगामी बजट में पूंजीगत व्यय तथा निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नए उपायों की घोषणा किए जाने की उम्मीद है जिससे शुल्क एवं भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत एक अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बन सके।
क्या रही स्थिति : आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर लगातार तिमाहियों में बढ़ी है। 2025-26 की दूसरी तिमाही में यह 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि खुदरा मुद्रास्फीति वर्ष के अंत तक भारतीय रिजर्व बैंक की निचली सीमा दो प्रतिशत से नीचे आ गई। भारत ने 4180 अरब अमेरिकी डॉलर की GDP के साथ जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है। 2030 तक अनुमानित 7300 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ अगले ढाई से तीन वर्ष में जर्मनी को पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने की राह पर है।
आधार वर्ष : सरकार राष्ट्रीय खातों के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने पर भी काम कर रही है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना पद्धति को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा उठाई गई चिंताओं का प्रभावी समाधान किया जा सके। घरेलू मुद्रा के मोर्चे पर, शेयर बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के बहिर्वाह से रुपये पर दबाव बना, हालांकि नवंबर में रुपये की अस्थिरता एक महीने पहले की तुलना में कम हुई।
जुझारूपन दिखाया : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अर्थव्यवस्था आकलन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण एवं अनिश्चित माहौल के बावजूद 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूत जुझारूपन दिखाया और पूरे वर्ष वृद्धि में तेजी बनी रही। यह वृद्धि मुख्य रूप से मजबूत घरेलू मांग खासकर ग्रामीण उपभोग, मुद्रास्फीति में नरमी एवं स्थिर निवेश में बढ़ोतरी से संचालित रही, जिसने इस गति को बनाए रखा। आपूर्ति पक्ष पर, सेवा क्षेत्र में स्थिर विस्तार जारी रहा जबकि पहले पिछड़े रहने के बाद विनिर्माण क्षेत्र ने वापसी की। हालांकि वर्ष के अंत में कुछ नरमी के संकेत भी उभरे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : विशेषज्ञों का मानना है कि वृद्धि दर में कुछ नरमी आ सकती है लेकिन मजबूत घरेलू बुनियाद, अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों और जारी सुधारों से अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी। वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से उत्पन्न बाहरी दबाव एवं उनका निर्यात पर असर चुनौती बन सकता है। हालांकि, प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के जल्द पूरा होने से निर्यात और अर्थव्यवस्था को और बल मिल सकता है। फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सुधारों को और गहरा करने तथा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की उम्मीदें हैं।
बड़े निवेश की घोषणाएं : माइक्रोसॉफ्ट (2030 तक 17.5 अरब डॉलर), अमेजन (अगले पांच वर्ष में 35 अरब डॉलर) और गूगल (अगले पांच वर्ष में 15 अरब डॉलर) जैसी कई वैश्विक कंपनियों ने बड़े निवेश की घोषणाएं की हैं। इसके अलावा, आईफोन विनिर्माता एप्पल, दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग और आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया ने भी बड़ी विस्तार योजनाओं की घोषणा की है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत द्वारा किए गए मुक्त व्यापार समझौतों से भी अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद मिलने की उम्मीद है। प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (जिसके जल्द साकार होने की संभावना है) निर्यात एवं उद्योग विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) के लिए उत्प्रेरक साबित होगा। सरकार के 2025 के अंत में जीएसटी दरों में कटौती की और नए श्रम संहिताओं को लागू किया।