नयी दिल्लीः नये साल में सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर नीतियों को सरल बनाने पर जोर देगी। इस पहल के तहत 2024 में छह दशक पुराने आयकर कानून की समीक्षा और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को युक्तिसंगत बनाने का काम शुरू किया गया है।
क्या है कारणः मासिक सकल जीएसटी संग्रह लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये पर स्थिर होने और सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 20 प्रतिशत की दर से लगातार वृद्धि के साथ व्यक्तियों और कॉरपोरेट कर के अनुपालन बोझ को कम करने का सरकार प्रयास कर रही है। आम लोग जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर कटौती का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा होने पर बीमा की लागत कम हो जाएगी। दूसरी ओर व्यवसाय तेजी से विवाद समाधान के लिए जीएसटी न्यायाधिकरण के संचालन का इंतजार कर रहे हैं।
क्या है स्थितिः सरकार ने आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा शुरू कर दी है, ताकि इसे सरल और समझने में आसान बनाया जा सके। अप्रचलित प्रावधानों को हटाने और इसे संक्षिप्त बनाने के लिए आयकर कानून में संशोधन बजट सत्र के शुरू में संसद में पेश किया जा सकता है। जीएसटी के मोर्चे पर, कर अधिकारी फर्जी पंजीकरण से जूझ रहे हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करना और सरकारी खजाने को चूना लगाना है। जीएसटी अधिकारियों ने अप्रैल-अक्टूबर, 2024 के बीच 17,818 फर्जी फर्मों द्वारा 35,132 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट चोरी के मामलों का पता लगाया और 69 लोगों को गिरफ्तार किया। फर्जी इकाइयों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र और राज्यों की जीएसटी परिषद ने कुछ संदिग्ध व्यवसायों के लिए बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण की व्यवस्था पहले ही शुरू कर दी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञः एमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि कर स्लैब को युक्तिसंगत बनाने, केंद्रीकृत अपीलीय न्यायाधिकरण के माध्यम से मुकदमेबाजी को कम करने और डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाने पर जोर देना महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि 2025 में चालान मिलान प्रणाली (आईएमएस) की शुरुआत से धोखाधड़ी वाले आईटीसी दावों को कम करके जीएसटी फाइलिंग में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी। हालांकि, यह बदलाव विशेष रूप से छोटे करदाताओं के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है, जिन्हें अनुपालन लागत और तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।