

नयी दिल्ली : सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ऋण उपलब्धता बढ़ाने के साथ ही प्रौद्योगिकी के दम पर सरकार उनमें सुधार करना चाहती है। एमएसएमई मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं विकास आयुक्त रजनीश ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
27 करोड़ लोगों को रोजगार : एमएसएमई 27 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं और इसीलिए मंत्रालय नीतियां बनाते समय उन्हें ध्यान में रखता है।हम एमएसएमई के लिए ऋण उपलब्धता बढ़ाना चाहते हैं। इस वर्ष बजट में सूक्ष्म उद्यमों को क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्ष में एमएसएमई की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए/खराब ऋण) पांच प्रतिशत से कम रही है। रजनीश ने एमएसएमई को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का भी उल्लेख किया और सुझाव दिया कि प्रौद्योगिकी के उपयोग से पर्यावरण संबंधी चिंताओं एवं विकास की आकांक्षाओं के बीच के मुद्दों को सुलझाया जा सकता है।
औसत उत्पादकता स्तर : सीमेंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुनील माथुर ने कहा कि आज भारत में औसत उत्पादकता स्तर 75 प्रतिशत है जबकि यूरोप में यह 90 प्रतिशत से अधिक है। प्रौद्योगिकी का उपयोग इस अंतर (उत्पादकता) को पाटने में मदद कर सकता है। भारतीय एमएसएमई, बाजार एवं वित्त तक पहुंच जैसी चुनौतियों से निपट रहे हैं।