

नयी दिल्ली : सरकार बहुत जल्द ही सतत विमानन ईंधन (SAF) पर एक नीति लेकर आएगी। इससे कच्चे तेल के आयात को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने और अधिक हरित रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी। नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने राष्ट्रीय राजधानी में एक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि SAF (सतत विमानन ईंधन) को अपनाने के लिए अधिक नवाचार, निवेश एवं सामूहिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
भारत का लक्ष्य : भारत का लक्ष्य 2027 तक विमान ईंधन में SAF का एक प्रतिशत, 2028 तक दो प्रतिशत तथा 2030 तक पांच प्रतिशत मिश्रण करना है। SAF का उपयोग विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) में ‘ड्रॉप-इन’ ईंधन के रूप में किया जा सकता है जो विमानों को शक्ति प्रदान करता है। मंत्री ने कहा कि तेल कंपनियों के अलावा निजी कंपनियों को भी SAF उत्पादन में शामिल होना चाहिए। वैश्विक स्तर पर 2040 तक SAF की आवश्यकता 18.3 करोड़ टन होने का अनुमान है। नायडू ने कहा, ‘‘ कच्चे माल से लेकर ईंधन तक, किसानों से लेकर विमान चालकों तक तथा तलने से लेकर उड़ान भरने तक... वास्तव में किसने सोचा होगा कि समोसे तलने वाले भी इस पूरे वैश्विक विमानन आंदोलन (SAF) में हिस्सा ले सकते हैं।’’ भारत में 75 करोड़ टन से अधिक ‘बायोमास’ उपलब्ध है और लगभग 21.3 करोड़ टन अधिशेष कृषि अवशेष है।
क्या होगा लाभ : मंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अलावा, SAF किसानों की आय में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि करके उन्हें सशक्त बना सकता है। SAF उत्पादन हमारे कच्चे तेल के आयात खर्च को हर साल पांच से सात अरब अमेरिकी डॉलर तक कम करने के साथ-साथ SAF मूल्य श्रृंखला में 10 लाख से अधिक हरित रोजगार सृजित करने में भी मदद कर सकता है। वैश्विक SAF वर्तमान में बहुत कम है। देश अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दरों पर SAF का उत्पादन कर सकता है। यह ईंधन विकास बनाम स्थिरता की चुनौती से निपटने में भी मदद कर सकता है। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है। घरेलू विमान कंपनियों ने 1,700 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए हैं। मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय और उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित ‘भारत सतत विमानन ईंधन शिखर सम्मेलन’ 2025 में यह टिप्पणियां की।