

नयी दिल्लीः राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की सफलता के लिए सरकार ने शुक्रवार उद्योग की भागीदारी तथा समर्थन मांगा है। सरकार का लक्ष्य 2031 तक अधिकतम संख्या में महत्वपूर्ण ब्लॉक की नीलामी करना है। कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के महत्वपूर्ण खनिज मिशन विषय पर आयोजित कार्यक्रम में देश के महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव हो सकता है जब सरकार और उद्योग दोनों एक साथ मिलकर काम करें।
तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा जैसे महत्वपूर्ण खनिज तेजी से बढ़ती स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कच्चे माल हैं। इनका इस्तेमाल पवन टर्बाइन और बिजली नेटवर्क से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तथा बैटरी विनिर्माण के लिए किया जाता है। दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा के बढ़ते चलन के साथ इन खनिजों की मांग बढ़ रही है।
क्या है स्थितिः 24 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक की नीलामी पहले ही की जा चुकी है। सरकार का लक्ष्य 2031 तक अधिकतम संख्या में ऐसे ब्लॉक की नीलामी करना है। मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारा लक्ष्य 2031 तक अधिकतम संख्या में महत्वपूर्ण ब्लॉक की नीलामी करना है और यह आपके समर्थन के बिना संभव नहीं है।’’
कितना होगा खर्चः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने 16,300 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी थी, जिसके लिए सात वर्ष में 34,300 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय की परिकल्पना की गई है। इसका मकसद हरित ऊर्जा बदलाव की दिशा में भारत की यात्रा में तेजी लाना है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन में 18,000 करोड़ रुपये का योगदान करने की उम्मीद है, जिसका उद्देश्य देश के भीतर और अपतटीय स्थानों पर महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को बढ़ावा देना है।