

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि भारत को वैश्विक कपड़ा और परिधान निर्यात बाजार में बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ बराबरी के लिए अधिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) करने की आवश्यकता है। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC) के पुरस्कार समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहले वैश्विक स्तर पर वस्त्र निर्यात के लिए बहुत कम देश हमसे प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, लेकिन अब बांग्लादेश, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम और अफ्रीकी देशों जैसे कई राष्ट्र मौजूद हैं। राधाकृष्णन ने कहा कि इसलिए मुक्त व्यापार समझौते ((FTA) अनिवार्य हैं। यही उनकी (प्रतिस्पर्धी देशों की) सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक 350 अरब डॉलर का कपड़ा बाजार तैयार करना है, जिसमें 100 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात शामिल है। उन्होंने परिधान उद्योग से नए बाजारों की सक्रिय रूप से खोज करने और पर्यावरण के अनुकूल विनिर्माण प्रथाओं, जिम्मेदार सोर्सिंग और अपशिष्ट को कम करने की रणनीतियों को अपनाने का भी आग्रह किया।
अगले तीन वर्षों में भारत का विस्त्र निर्यात दोगुना होगा : उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज एकमात्र बाधा यह है कि अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता थोड़ा अनिश्चित है। मुझे लगता है कि यह भी देर-सबेर हो जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि भू-राजनीतिक स्थिति के कारण भारतीय वस्त्र और परिधान उद्योग में कई तरह की बाधाएं हैं, लेकिन भारत विश्व स्तर पर वस्त्र और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है, जो यह दर्शाता है कि वस्त्र उद्योग देश की वृद्धि में कितना बड़ा योगदान दे रहा है। उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले 3 वर्षों में भारत का वस्त्र निर्यात दोगुना हो जाएगा।