

नयी दिल्ली : देश के वस्तु और सेवा निर्यात के वित्त वर्ष 2025-26 में तीन प्रतिशत बढ़कर लगभग 850 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह अनुमान जताया है। वित्त वर्ष 2024-25 में कुल निर्यात 825 अरब डॉलर तक पहुंचा था। इसमें वस्तुओं का निर्यात 438 अरब डॉलर और सेवाओं का 387 अरब डॉलर था।
अब तक का सबसे कठिन माहौल : 2026 में देश के निर्यात को वैश्विक व्यापार का अब तक का सबसे कठिन माहौल झेलना पड़ सकता है। आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि ऐसे समय जब जब भारत निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ता संरक्षणवाद, वैश्विक मांग में कमी और जलवायु से जुड़े नए व्यापार अवरोध एक साथ आ रहे हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि परिणामस्वरूप निर्यात में विस्तार से अधिक स्थिति बनाए रखने की चुनौती होगी।
क्या है स्थिति : वित्त वर्ष 2025-26 में वस्तुओं का निर्यात लगभग स्थिर रहने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक मांग कमजोर है और अमेरिका के नए शुल्क दबाव हैं। वहीं, सेवाओं का निर्यात 400 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक हो सकता है। इससे कुल निर्यात लगभग 850 अरब डॉलर तक हो सकता है।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि बाहरी वातावरण तेजी से खराब हो रहा है। उन्होंने यूरोप को एक अलग लेकिन उतनी ही महंगी चुनौती बताया। यूरोपीय संघ एक जनवरी, 2026 से अपने कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) को लागू करेगा। इससे आयात पर प्रभावी रूप से कार्बन टैक्स लागू हो जाएगा।