भारतीय ई-कॉमर्स विक्रेताओं के लिए निर्यात के अवसर खुले

भारतीय ई-कॉमर्स विक्रेताओं के लिए निर्यात के अवसर खुले
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नयी दिल्ली: चीन से कम मूल्य वाले ई-कॉमर्स आयात पर अमेरिका द्वारा सख्ती बरतने से भारतीय ऑनलाइन निर्यातकों के लिए बड़े अवसर खुल गए हैं, क्योंकि अगर लालफीताशाही कम हो जाए और सरकार समय पर समर्थन प्रदान करे तो वे इस कमी को पूरा कर सकते हैं। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने यह बात कही। जीटीआरआई ने कहा कि एक लाख से अधिक ई-कॉमर्स विक्रेताओं और पांच अरब डॉलर के मौजूदा निर्यात के साथ भारत, विशेष रूप से हस्तशिल्प, फैशन और घरेलू सामान जैसे अनुकूलित, छोटे बैच उत्पादों के क्षेत्र में चीन द्वारा छोड़े गए अंतर को भरने की अच्छी स्थिति में है।

अमेरिका में दो मई से 800 डॉलर से कम कीमत वाले चीनी और हांगकांग ई-कॉमर्स निर्यात पर 120 प्रतिशत का भारी आयात शुल्क लगेगा, जिससे उनका शुल्क-मुक्त प्रवेश समाप्त हो जाएगा। इस कदम से चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न होने और अन्य देशों के लिए द्वार खुलने की उम्मीद है। चीनी फर्म शीन और टेमू इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनी हैं।वर्ष 2024 में विश्व भर से 140 करोड़ से अधिक कम मूल्य के पैकेट अमेरिका में पहुंचे, जिनमें से अकेले चीन ने 46 अरब डॉलर मूल्य के ऐसे सामान का निर्यात किया।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, भारत विशेष रूप से हस्तशिल्प, फैशन और घरेलू सामान जैसे अनुकूलित, छोटे बैच के उत्पादों में चीन द्वारा छोड़े गए अंतर को सिर्फ उस स्थिति में भरने की अच्छी स्थिति में है, जब वह बैंकिंग, सीमा शुल्क और निर्यात प्रोत्साहन में बाधाओं को जल्दी से दूर कर ले।इन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए, लालफीताशाही अक्सर समर्थन से ज़्यादा भारी पड़ती है।

श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय बैंक ई-कॉमर्स निर्यात की उच्च मात्रा और छोटे मूल्य की प्रकृति को संभालने के लिए संघर्ष करते हैं।आरबीआई के नियम घोषित आयात मूल्य और अंतिम भुगतान के बीच केवल 25 प्रतिशत का अंतर रखने की अनुमति देते हैं, जो ऑनलाइन निर्यात के लिए बहुत कड़ा है, जहां छूट, रिटर्न और मंच शुल्क अक्सर बड़े अंतर का कारण बनते हैं।

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