

नयी दिल्लीः जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करने की प्रक्रिया जारी है और यह अगले छहीने में तैयार हो जाएगी। आर्थिक मामलों के सचिव (डीईए) अजय सेठ ने कहा , ‘‘काम चल रहा है और वास्तव में इस्पात मंत्रालय ने अपना काम पूरा कर लिया है। उन्होंने इस्पात क्षेत्र के लिए अपना वर्गीकरण जारी कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक अधिक व्यापक प्रक्रिया चल रही है और संबंधित हितधारकों के साथ एक अवधारणा पत्र पहले ही साझा किया जा चुका है। उनके विचार लिए जा चुके हैं। विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक समिति बनाई गई है। उम्मीद है कि अगले छह माह में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
क्या है मामलाः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण बनाने के प्रस्ताव की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘हम जलवायु अनुकूलन और उससे निपटने के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने को जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करेंगे। यह देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं और हरित बदलाव का समर्थन करेगा।’’
क्या होगा लाभः सरकार के विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन से सरकारी प्रतिभूतियों से प्रतिफल कम हो सकता है। इससे कंपनियों के पास अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए अधिक पैसा बचेगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अगले वित्त वर्ष में हम चालू वित्त वर्ष की तुलना में कम कर्ज लेंगे। यहां तक कि कुल कर्ज भी पहले की तुलना में थोड़ा अधिक है, जो यह संकेत देता है कि सरकार निजी क्षेत्र के लिए बाजार में पर्याप्त धन छोड़ेगी। सरकार ने कर संग्रह में सुधार की उम्मीद के चलते अगले वित्त वर्ष के लिए अपने कर्ज के अनुमान को घटाकर शुद्ध आधार पर 11.54 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। हालांकि, कुल बाजार कर्ज को अब चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 14.01 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 14.82 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।