मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कंपनियों से अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने को कहा

साथ ही लाभ के अनुरूप वेतन बढ़ाने की दी सलाह
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कंपनियों से अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने को कहा
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नयी दिल्ली : 6.5 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि करने और वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारतीय कंपनियों से मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने और लाभप्रदता वृद्धि के अनुरूप कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को कहा। नागेश्वरन ने ‘निवेश के पुण्य चक्र’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बढ़े हुए निवेश से न केवल क्षमता बढ़ेगी बल्कि अधिक वेतन वाली अधिक नौकरियां पैदा होंगी जिसका नतीजा बढ़ी हुई घरेलू बचत के रूप में निकलेगा। ‘निवेश का पुण्य चक्र’ एक ऐसी स्थिति है जहां निवेश से उत्पन्न सकारात्मक परिणाम आगे के निवेश को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे एक आत्मनिर्भर और लगातार बढ़ती हुई आर्थिक वृद्धि की स्थिति बनती है।

क्या है स्थिति : उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं कि लाभप्रदता में वृद्धि न केवल पूंजी निर्माण में वृद्धि से अधिक हो गई है, बल्कि लाभ कमाने की क्षमता में वृद्धि ने वेतन वृद्धि और भर्तियों को भी पीछे छोड़ दिया है। यह कुछ ऐसी स्थिति है जिसे हम अगले 25 या 30 वर्षों तक नहीं झेल सकते हैं।’ उन्होंने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि इस तरह की चुनौती का सामना आमतौर पर विकसित देशों को करना पड़ता है, न कि भारत जैसे विकासशील देशों को।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, उदाहरण के तौर पर, भारत के निजी क्षेत्र की लाभप्रदता मार्च, 2024 तक 7.2 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढ़कर 28.7 लाख करोड़ रुपये हो गई लेकिन दूसरे दशक में पूंजी निर्माण केवल तीन गुना बढ़ा। ऐसे में, लाभप्रदता की वृद्धि दर और पूंजी निर्माण की वृद्धि दर में एक छोटा फासला रहा है। अगर हमें वास्तविक रूप से न्यूनतम 6.5 प्रतिशत की सतत वृद्धि हासिल करनी है और उच्च वृद्धि दर का लक्ष्य रखना है तो इस अंतर को कम करना होगा।

क्या है कारण : भारत को अगले 25 वर्षों में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र सहित क्षमता निर्माण में बहुत अधिक निवेश की जरूरत होगी। भारत की पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू आय और बचत में स्थिर वृद्धि की जरूरत होगी जो तभी संभव हो सकता है जब उनकी आय बढ़े।आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि भारत ने आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.3-6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है और अच्छे मानसून, सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, कर राहत और कम ब्याज दर के माहौल के कारण यह लंबे समय तक बरकरार रहेगी।

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