नई दिल्ली - नीर्मला सितारमण 1 फरवरी 2025 को मोदी सरकार की तीफ से देश का वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यूनियन बजट पेश करेंगी। वह इस बार वित्त मंत्री के रूप में लगातार 8वा बजट पेश करेंगी। आज हम आपको बजट से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी देंगे।
कैसे हुई बजट शब्द की उत्पत्ति
बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के 'बुल्गा' शब्द से हुई है। इसे फ्रांसीसी भाषा में 'बुगेट' भी कहा जाता है। जब इस शब्द का इंग्लिश में प्रयोग किया गया तो ये 'बोजेट' हो गया। आखिर में इसे बजट कहा जाने लगा। बजट में सरकार के साल भर से आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है। संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण की चर्चा है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत ही सरकार को हर साल की अपनी कमाई और व्यय का लेखा जोखा देना अनिवार्य होता है।
कितने प्रकार का होता है बजट
बजट को हम तीन भाग में बाट सकते हैं। जिसमे संतुलित बजट, सरप्लस बजट और घाटे का बजट शामिल है।
संतुलित बजट - संतुलित बजट वह बजट होता है जिसमें सरकार की आय (राजस्व) और व्यय (खर्च) बराबर होते हैं। यानी, सरकार अपने खर्चों को वित्तीय स्रोतों से पूरी तरह से कवर करने की स्थिति में होती है, और उसे कोई अतिरिक्त उधारी लेने की आवश्यकता नहीं होती। इस बजट में खर्च और आय के बीच कोई अंतर नहीं होता, जो आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है। यह बजट आमतौर पर सरकार की वित्तीय स्थिति को संतुलित रखने और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
सरप्लस बजट - सरप्लस बजट उस बजट को कहा जाता है जिसमें सरकार की आय (राजस्व) उसके खर्चों से अधिक होती है। यानी, सरकार को अपने व्ययों के मुकाबले अधिक आय प्राप्त होती है, और उसे अतिरिक्त धन की प्राप्ति होती है। इस अतिरिक्त धन का उपयोग सरकार कर्ज चुकाने, विकास कार्यों में निवेश करने या अन्य वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकती है। सरप्लस बजट का उद्देश्य सरकार की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना होता है। यह संकेत देता है कि सरकार ने अपने खर्चों को नियंत्रित किया और ज्यादा राजस्व संग्रह जोड़ा।
घाटे का बजट - घाटे का बजट उस बजट को कहते हैं जिसमें सरकार की आय (राजस्व) उसके खर्चों से कम होती है। यानी, सरकार के खर्चों को पूरा करने के लिए उसे उधारी लेनी पड़ती है या फिर वित्तीय स्रोतों से अतिरिक्त धन जुटाना पड़ता है। इस बजट में सरकार का व्यय सरकार की आय से अधिक होता है, और इस प्रकार उसे घाटा उठाना पड़ता है। यह स्थिति आमतौर पर तब होती है जब सरकार विकास कार्यों के लिए अधिक खर्च करती है, लेकिन आय की स्थिति कमजोर होती है। घाटे का बजट अक्सर सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इससे सार्वजनिक कर्ज में वृद्धि हो सकती है, जो लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल सकता है।
कौन तैयार करता है बजट ?
भारत में बजट तैयार करने की प्रक्रिया केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आती है। बजट को वित्त मंत्री तैयार करते हैं, लेकिन इसके निर्माण में कई अन्य विभागों और अधिकारियों का भी योगदान होता है। बजट तैयार करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है:
वित्त मंत्रालय: केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बजट तैयार किया जाता है। वित्त मंत्रालय में विशेष रूप से बजट विभाग होता है, जो बजट तैयार करने का मुख्य कार्य करता है।
संसद: बजट को अंतिम रूप से संसद में प्रस्तुत किया जाता है। इसके पहले विभिन्न विभागों से उनके अनुमानित खर्चों और आय की जानकारी ली जाती है।
नोटिफिकेशन और अनुमोदन: वित्त मंत्रालय, अन्य मंत्रालयों से बजट प्रस्ताव एकत्र करता है और फिर केंद्रीय वित्त मंत्री उसे संकलित करके बजट तैयार करते हैं। यह बजट पहले कैबिनेट से मंजूरी प्राप्त करता है और फिर संसद में प्रस्तुत किया जाता है। बजट का प्रस्तुतीकरण आमतौर पर 1 फरवरी को लोकसभा में होता है, और इसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
बेहद गोपनीय होता है देश का बजट
देश का बजट बेहद गोपनीय होता है, और इसे तैयार करने की प्रक्रिया में बहुत सतर्कता और सुरक्षा बरती जाती है। इसका कारण यह है कि बजट में आर्थिक, वित्तीय और राजनीतिक फैसले शामिल होते हैं, जो देश की समग्र स्थिति और सरकार की नीतियों को प्रभावित करते हैं। यदि बजट के बारे में पहले से जानकारी लीक हो जाए, तो इससे बाजारों में अस्थिरता, नकारात्मक प्रभाव, और वित्तीय अनुशासन में कमी हो सकती है।
1. बजट दस्तावेज़ की सुरक्षा: बजट तैयार करते समय वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों में बजट दस्तावेज़ को बहुत सुरक्षित रखा जाता है। इन दस्तावेज़ों तक केवल कुछ चुने हुए अधिकारी और मंत्री ही पहुंच सकते हैं।
2. बजट पेश होने से पहले की गोपनीयता: बजट से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाता है जब तक कि उसे संसद में पेश न किया जाए। वित्त मंत्री और उनके सहयोगी बजट से संबंधित किसी भी जानकारी को मीडिया या आम जनता के साथ साझा नहीं कर सकते।
3. बजट की लीक से बचाव: भारत में बजट के दस्तावेज़ों के लीक होने के जोखिम को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा कई सुरक्षा उपाय किए जाते हैं। बजट के दस्तावेज़ों की छपाई एक गुप्त स्थान पर होती है, और केवल कुछ अधिकारी ही उन्हें देख सकते हैं। इसके अलावा, बजट से पहले संसद के सभी सदस्य और अन्य संबंधित लोग "गोपनीयता की शपथ" लेते हैं, ताकि बजट से जुड़ी जानकारी लीक न हो।
4. फाइनेंशियल डेटा की गोपनीयता: बजट में कुछ महत्वपूर्ण वित्तीय आंकड़े, जैसे कि राजस्व का अनुमान, सरकारी खर्च, और कर्ज का स्तर होते हैं। इन आंकड़ों का सार्वजनिक होना वित्तीय बाजारों पर असर डाल सकता है, और इसलिए इनकी गोपनीयता बनाए रखना जरूरी होता है।
5. गोपनीयता का उल्लंघन: अगर किसी तरह से बजट से जुड़ी जानकारी लीक हो जाती है, तो यह कानूनी तौर पर गंभीर उल्लंघन माना जाता है। इसके लिए संबंधित व्यक्तियों या अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
6. बजट का प्रस्तुतीकरण: बजट का प्रस्तुतीकरण आमतौर पर 1 फरवरी को लोकसभा में किया जाता है। इस दिन, वित्त मंत्री संसद में बजट भाषण देते हैं, और इसे सार्वजनिक रूप से सभी के सामने रखा जाता है। इस दिन को एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, और बजट से जुड़ी सभी जानकारी पहली बार खुले तौर पर सामने आती है।
7. फाइनेंशियल सटीकता: बजट का प्रत्येक पहलू (आय, खर्च, राजस्व, ऋण) बहुत सटीक और विश्लेषणात्मक होता है, इसलिए किसी भी गलत जानकारी या अनुमान का लीक होना आर्थिक दृष्टि से हानिकारक हो सकता है। इन सभी कारणों से देश का बजट एक बेहद गोपनीय दस्तावेज़ होता है, और इसे बहुत सोच-समझ कर तैयार किया जाता है ताकि वित्तीय स्थिरता और देश की अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।