अमेरिका के साथ समझौते में रहना होगा सावधान

अमेरिका के साथ समझौते में रहना होगा सावधान
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नयी दिल्ली : अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देते समय भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा, ‘ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘मॉडल’ मुक्त व्यापार समझौते का नहीं बल्कि अमेरिकी जवाबी शुल्क के सामने झुकने का है।’

क्या है स्थिति : अमेरिका ने बढ़ाए गए शुल्क लागू करने की समय-सीमा को नौ जुलाई से बढ़ाकर एक अगस्त कर दिया है, जिससे देश-विशिष्ट शुल्क लागू होने से पहले अंतिम तीन सप्ताह का समय मिल जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कार्यकारी आदेश में कई अन्य देशों पर बढ़ाए गए शुल्क को टालने की अवधि एक अगस्त तक बढ़ा दी है। शुल्क पर यह 90 दिवसीय निलंबन नौ जुलाई को समाप्त होना था। ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र’ भेजे जिसमें उन देशों के उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों का ब्योरा है।

सावधानी से आगे बढ़ना होगा : इन देशों में हालांकि भारत को शामिल नहीं किया गया। समयसीमा के खत्म होने की ओर बढ़ते हुए.. आगामी दिनों में समझौते की घोषणा करने वालों की सूची में भारत सबसे आगे नजर आ रहा है लेकिन उसे सावधानी से आगे बढ़ना होगा। समझौतों को दरकिनार करने तथा ब्रिक्स सदस्यों पर एकतरफा शर्तें थोपने की अमेरिका द्वारा इच्छा जाहिर किए जाने के मद्देनजर भारत को किसी असंतुलित समझौते के जोखिमों और संबंधों के सामरिक महत्व पर गौर करना चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘ अब ट्रंप दबाव बढ़ा रहे हैं। सात जुलाई को उन्होंने 14 देशों को भेजे गए औपचारिक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें बताया गया कि यदि वे समझौता करने में विफल रहे तो एक अगस्त से उन्हें कितने शुल्क का सामना करना पड़ेगा।’

शुल्क लगाने की घोषणा : ट्रपं प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, ट्यूनीशिया पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की। दक्षिण अफ्रीका, बोस्निया एंड हर्जेगोविना पर 30 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, बांग्लादेश तथा सर्बिया पर 35 प्रतिशत, कंबोडिया तथा थाईलैंड पर 36 प्रतिशत और लाओस एवं म्यांमा से आयातित सामान पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। अमेरिका के ‘अंतिम नोटिस’ में दी गई चेतावनियों के कारण इन देशों के पास दो विकल्प रह गए हैं कि वे अमेरिकी शर्तों पर समझौते पर हस्ताक्षर करें या जवाबी शुल्क का सामना करने के लिए तैयार रहें।

क्या है आशंका : शुल्क वृद्धि से व्यापार प्रवाह बाधित होने, अमेरिका में उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि होने और वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला में व्यापक जटिलताएं उत्पन्न होने की आशंका है। चीन से अमेरिका का आयात मई 2025 में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत कम हुआ है।

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