बैंकों को मृत ग्राहकों के परिजनों के दावों को 15 दिन में निपटाना होगा

देरी होने पर देना होगा मुआवजा
बैंकों को मृत ग्राहकों के परिजनों के दावों को 
15 दिन में निपटाना होगा
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मुंबई : मृत ग्राहकों के बैंक खातों और लॉकर से संबंधित दावों का 15 दिन के भीतर निपटान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विशेष पहल की है। केंद्रीय बैंक ऐसे मामलों का तय समयसीमा के भीतर निपटारा करने और किसी भी देरी के लिए नामांकित व्यक्तियों को मुआवजा देने के लिए फॉर्म को मानकीकृत करने की योजना बना रहा है। आरबीआई ने मृत बैंक ग्राहकों के बैंक खातों और सुरक्षित जमा लॉकर में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के निपटान के लिए मानक प्रक्रियाएं लाने का प्रस्ताव किया है। इसका मकसद निपटान को और अधिक सुविधाजनक और सरल बनाना है। केंद्रीय बैंक ने परिपत्र का मसौदा - भारतीय रिजर्व बैंक (बैंकों के मृत ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निर्देश, 2025' जारी किया है और 27 अगस्त तक इस पर टिप्पणियां मांगी हैं।इसमें दावों के निपटान में देरी होने पर मुआवजे का भी प्रावधान है।

क्या होगी प्रक्रिया : यदि जमा खातों या लॉकर के लिए किसी व्यक्ति को नामित किया गया है, तो उसे पहचान और पते के सत्यापन के लिए दावा प्रपत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र (मृत ग्राहक) और नामित (नामिनी) का आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज जमा करना होगा।

नामांकन नहीं होने पर : मसौदे के अनुसार, बैंक को उन जमा खातों में दावों के निपटान के लिए एक सरल प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जहां मृतक जमाकर्ता ने कोई नामांकन नहीं किया है, ताकि दावेदार या कानूनी उत्तराधिकारी को असुविधा से बचाया जा सके। ऐसे दावों के निपटान के लिए बैंक को अपनी जोखिम प्रबंधन प्रणालियों के आधार पर न्यूनतम 15 लाख रुपये की सीमा तय करनी चाहिए।

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