नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से ग्राहकों को कर्ज देने के लिए आक्रामक रूख नहीं अपनाने और ब्याज को वाजिब स्तर पर रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेश के नाम पर ‘वित्तीय शोषण’ नहीं किया जा सकता। उन्होंने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से भारतीय रिजर्व बैंक के ऋण वसूली मानदंडों का कड़ाई से पालन करने का भी आग्रह किया।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र को कर्ज : यहां एनबीएफसी पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी और बैंकों के बीच विशेष रूप से प्राथमिकता वाले क्षेत्र को कर्ज देने के लिए मिलकर काम करने की व्यवस्था के जरिये मजबूत सहयोग होना चाहिए। कर्ज देने के लिए आक्रामक तरीके से विपणन नहीं किया जाना चाहिए या उन्हें व्यक्तियों पर थोपा नहीं जाना वसूली प्रक्रिया निष्पक्ष, सहानुभूतिपूर्ण और सम्मानजनक तरीके से होनी चाहिए और इसे आरबीआई के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
मूल्यांकन और प्रबंधन : उन्होंने कहा कि नकदी और ऋण जोखिमों का कड़ाई से मूल्यांकन और प्रबंधन किया जाना चाहिए। मजबूत आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था से परिसंपत्ति-देनदारी के बीच अंतर, वित्तपोषण स्रोतों की प्रकृति और अवधि की निगरानी सुनिश्चित होनी चाहिए।