

नयी दिल्ली/पटना : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया जिसमें बिहार में हाल के महीनों में कई पुलों के ढह जाने के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी गयी थी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि पटना हाई कोर्ट राज्य में पुलों के संरचनात्मक और सुरक्षा अंकेक्षण को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की मासिक आधार पर निगरानी कर सकता है।
पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता एवं वकील ब्रजेश सिंह, राज्य प्राधिकारियों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 14 मई को हाई कोर्ट में उपस्थित होने को कहा, जब मामले की अगली सुनवाई की तारीख वहीं तय की जाएगी। इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई में राज्य सरकार ने कहा कि उसने राज्य में लगभग 10,000 पुलों का निरीक्षण किया है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, हमने जवाबी हलफनामे का अध्ययन कर लिया है। हम मामले को पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर रहे हैं। जवाबी हलफनामे में उन्होंने राज्य के अधिकारियों ने विस्तार से बताया है कि वे क्या कर रहे हैं।
पिछले साल 18 नवंबर को शीर्ष अदालत ने बिहार सरकार और अन्य को इस मुद्दे पर जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया था। इससे पहले, याचिकाकर्ता ब्रजेश सिंह ने बिहार में पुलों की जर्जर स्थिति को उजागर करने के लिए विभिन्न खबरों और अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकार्ड में लाने की अनुमति मांगते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई, 2024 को याचिका पर बिहार सरकार और एनएचएआई सहित अन्य पक्षों से जवाब मांगा था। जनहित याचिका में संरचनात्मक अंकेक्षण के लिए निर्देश देने तथा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है, जो उन पुलों की पहचान करेगा जिन्हें या तो मजबूत किया जा सकता है या ध्वस्त किया जा सकता है।