
पटना : बिहार में विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन ने राज्य विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का शुक्रवार को कड़ा विरोध किया। राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य सहित अन्य नेताओं ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा।
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया, हमें संदेह है कि इस कवायद का उद्देश्य, जिसमें मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों के पास हो सकते हैं, बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित करना है, विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों को।
उन्होंने आरोप लगाया, एक बार जब नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे, तो अगला कदम इन लोगों को सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित करना हो सकता है। तेजस्वी ने कहा, निर्वाचन आयोग के लिए सिर्फ 25 दिनों में इतनी बड़ी कवायद करना असंभव है, जैसा कि उसने प्रस्तावित किया है। अगर वास्तव में यह संभव है, तो मैं केंद्र को चुनौती देता हूं कि वह दो महीने के भीतर जाति जनगणना कराए।
खेड़ा ने कहा, महात्मा गांधी के तीन बंदरों ने कुछ भी बुरा न देखा, न सुना और न कहा। इसी प्रकार निर्वाचन आयोग कुछ भी सच न देखता है, न सुनता है और न बोलता है। जब हमारे नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव कराने के तरीके पर संदेह जताया, तो भाजपा की ओर से इसका खंडन आया। कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि निर्वाचन आयोग के लिए बिहार एक ‘प्रयोगशाला’ है और देश में अन्य जगहों पर भी इसी तरह के प्रयोग हो सकते हैं।