

नयी दिल्ली/ पटना : वरिष्ठ राजनेता लालू प्रसाद यादव अब एक नए अवतार में अपने प्रशंसकों के सामने आए हैं। उन्होंने लोक कथाओं, प्राचीन गाथाओं और रहस्यमय किंवदंतियों को एक किताब की शक्ल में नए रंग रूप में पेश किया है। इसमें उन्होंने लेखक नलिन वर्मा के साथ मिलकर चार कालातीत लोक कथाओं ‘सोरठी बृजभार’, ‘भर्तृहरि-पिंगला’, ‘हीर रांझा’ और ‘सारंगा-सदाबृज’ को नया आकार दिया है।
11वीं शताब्दी के श्रद्धेय रहस्यवादी योगी गोरखनाथ, जिनके समावेशी धार्मिक दर्शन ने भारत में सूफी और भक्ति आंदोलनों को गहराई से प्रभावित किया, उनके जीवन और शिक्षाओं पर आधारित, ‘प्रेम और संत गोरखनाथ की कथाएं’ में प्रस्तुत ये कहानियां कभी गोरखनाथ संप्रदाय के योगियों द्वारा सारंगी के उदास स्वरों के साथ गाई जाती थीं।
इस पुस्तक की भूमिका में लालू यादव ने लिखा है, ‘बीते कई वर्षों से, ये गाथागीत लोकगीतकारों और लोक रंगमंच कलाकारों के लिए जीविका का स्रोत बन गए हैं। ये कलाकार विवाह समारोहों और धार्मिक आयोजनों में अपनी प्रस्तुतियां देते हैं। मुझे इन कहानियों का बहुत शौक है। वर्ष 1990 में जब मैं बिहार का मुख्यमंत्री बना, तो मैंने लोकगीतकारों की प्रस्तुतियां का आयोजन करवाया।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, जब भी मुझे समय मिलता है, मैं उन्हें आज भी प्रस्तुति के लिए आमंत्रित करता हूं। मैंने ये कहानियां नलिन वर्मा के साथ साझा कीं, जिन्होंने इन कहानियों को यहां प्रस्तुत करने के लिए गहन शोध किया है। मैं इन कहानियों को लिखने के लिए उनका बहुत आभारी हूं, जो हमारी संस्कृति और हमारी विरासत का हिस्सा रही हैं।
ये लोकगीत मूल रूप से मौखिक परंपरा के माध्यम से संरक्षित रहे हैं और लंबे समय से मेलों, शादियों और आध्यात्मिक समारोहों में क्षेत्रीय प्रदर्शन परंपराओं का केंद्र रहे हैं।
जादुई यथार्थवाद को जीवंत अनुभवों के साथ जोड़ने वाले आख्यानों के माध्यम से, यह पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि हाशिए पर पड़े समुदायों ने लोककथाओं को प्रतिरोध, परिवर्तन और आध्यात्मिक अन्वेषण के माध्यम के रूप में कैसे इस्तेमाल किया।