...मैं जन्म से मुसलमान हूं : राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

कहा, सभी समस्याओं के समाधान की कुंजी हैं हमारे शाश्वत मूल्य
आरिफ मोहम्मद खान
आरिफ मोहम्मद खान
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पटना : बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ‘लंबे समय तक गुलामी के दौर’ ने भारत के लोगों को उनके ‘शाश्वत सांस्कृतिक मूल्यों’ के प्रति उदासीन बना दिया है जो राष्ट्र के सामने आने वाली सभी समस्याओं के समाधान की कुंजी हैं। खान ने यह टिप्पणी थिंक-टैंक ‘ग्रैंड ट्रंक रोड इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) द्वारा आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान की। 

संस्कृत में महारात के पहचाने जाने वाले खान ने इस मौके पर संस्कृत के कई श्लोक सुनाये जिस पर वहां मौजूद लोग तालियां बजाने लगे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वह खुद को एक विद्यार्थी के रूप में देखते हैं, न कि एक विद्वान के रूप में।

उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि चाहे राज्यपाल हो, मंत्री हो या सांसद सार्वजनिक जीवन में किसी को भी पद यह देखकर नहीं मिलता कि वह किस समुदाय से आता है, इसीलिए मिलता है कि वह भारत का नागरिक है। इसलिए, भले ही मैं जन्म से मुसलमान हूं, लेकिन मेरी जिम्मेदारियों को मेरी धार्मिक पहचान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

खान ने कहा, मेरा यह भी मानना है कि किसी को भी इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए जिससे उस जाति या समुदाय की चेतना को बढ़ावा मिले जिससे वह संबंधित है, क्योंकि इससे आगे चलकर सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है।

राज्यपाल ने कहा, ऐसा लगता है कि लंबे समय तक गुलामी सहने के कारण हमारे शाश्वत मूल्यों के प्रति हमारी उदासीनता बढ़ गई लेकिन हमारी विरासत हमें हमारी कई समस्याओं को हल करने की कुंजी प्रदान करती है। राष्ट्रगान को ही देख लीजिए, जिसमें ‘जय’ जो जीत का संकेत देता है, लेकिन ‘विजय’ से अलग है जो दूसरे की अधीनता को दर्शाता है।

पिछले माह बिहार के राज्यपाल का पदभार संभालने वाले खान ने कहा, यह नालंदा की भूमि है जो शिक्षा का प्राचीन केंद्र है जिसे आक्रमण में नष्ट कर दिया गया था। लेकिन, वहां से फैला ज्ञान नष्ट नहीं किया जा सका। यह आज भी जीवित है।

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