पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड : अपराधी से नेता बने विजय कुमार शुक्ला की उम्रकैद सजा बरकरार
नयी दिल्ली/ पटना : सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के जुर्म में अपराधी से नेता बने विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को दी गई आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने शुक्ला और एक सह-दोषी की शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा संबंधी वाली याचिका खारिज कर दी। पिछले साल 3 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने शुक्ला और मंटू तिवारी को मामले में दोषी ठहराया था।
पीठ ने छह मई के आदेश में रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कहा, हमें तीन अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने के लिए कोई अच्छा आधार और कारण नहीं मिलता है। यह फैसला हाल में अपलोड किया गया है। न्यायालय ने समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की प्रार्थना भी खारिज कर दी।
शीर्ष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने के पटना हाई कोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया और दोषी पूर्व विधायक शुक्ला और तिवारी को आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा।
पीठ ने शुक्ला और तिवारी दोनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, धारा 34 के तहत 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके अलावा आईपीसी की धारा 307, धारा 34 के तहत 5 साल के कठोर कारावास की सजा के साथ ही 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत 5 अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ दिया और मामले में उन्हें बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक प्रभावशाली नेता एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद की गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा हत्या की घटना ने बिहार और उत्तर प्रदेश की पुलिस को हिलाकर रख दिया था। श्रीप्रकाश शुक्ला बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और अन्य के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

