

पटना : बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में बुधवार को विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ बुलाए गए 'बिहार बंद' से आम जनजीवन प्रभावित रहा। सड़कों, राजमार्गों और पुलों पर भारी यातायात जाम देखा गया, जहां बंद समर्थकों ने जलते हुए टायर रखे थे। राज्य की राजधानी पटना में, अधिकांश निजी विद्यालयों ने छुट्टी घोषित की थी या ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने का विकल्प चुना, लेकिन सरकारी संस्थान खुले रहे। सड़क से लेकर रेलवे स्टेशन तक विरोध प्रदर्शन तेज रहा।
राज्य में ‘महागठबंधन’ के नाम से जाने जाने वाले विपक्षी गठबंधन ने उस दिन 'बिहार बंद' का आयोजन किया था, जिस दिन वह नए श्रम संहिताओं के विरोध में मजदूर संघों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन दे रहा था।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पटना पहुंचे और उनके द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता एवं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव एमए बेबी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी राजा और भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हुए।
विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया गठबंधन) के बड़े नेताओं ने एक विशाल जुलूस के रूप में यहां निर्वाचन आयोग कार्यालय तक पहुंचने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें कुछ मीटर दूर शहीद स्मारक के सामने रोक दिया गया। यह स्मारक भारत छोड़ो आंदोलन के सात युवा शहीदों की याद में बनाया गया था, जो विधानसभा परिसर के ठीक सामने है।
पुलिस अधीक्षक (पटना मध्य) दीक्षा ने को बताया, प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों के प्रवेश को रोकने के लिए अवरोधक लगाए गए थे। विभिन्न स्थानों पर पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती कर स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला गया। विपक्षी नेताओं ने रोके जाने से अविचनित एक खुले वाहन में सवार होकर आगे बढ़ते हुए मांग की कि विपक्ष जिसे ‘वोटबंदी’ कह रहा है, उसे तत्काल वापस लिया जाए। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘नोटबंदी’ तुल्य करार दिया।