

पटना : बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने राज्य में अपराध की घटनाओं में हालिया वृद्धि के लिए कृषि श्रमिकों में मौसमी बेरोजगारी को जिम्मेदार ठहराया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने कहा, बिहार में फसल के केवल दो प्रमुख मौसम होते हैं। चूंकि अप्रैल और जून के बीच फसल का मौसम नहीं होता, इसलिए ज्यादातर कृषि श्रमिक इस दौरान बेरोजगार रहते हैं। नतीजतन, भूमि से जुड़ी झड़पें बढ़ जाती हैं। उनमें से कुछ, खासकर युवा, जल्दी पैसे कमाने के लिए सुपारी लेकर हत्याएं भी करते हैं। उन्होंने कहा कि हत्या के मामले मुख्य रूप से मई और जुलाई के बीच बढ़ते हैं।
उनकी इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर रोष फैल गया और कई लोगों ने अधिकारी पर कानून व्यवस्था बरकरार रखने में नाकाम रहने का बहाना बनाने का आरोप लगाया। कृष्णन ने कहा, मैंने जो कुछ भी कहा है, वह आंकड़ों पर आधारित है। आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष की इस अवधि (मई और जुलाई के बीच) में हिंसा की घटनाओं में वृद्धि देखी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार, बिहार में अप्रैल में 217 और मई में 284 हत्या के मामले दर्ज किये गए। वर्ष 2024 में, अप्रैल में 231, मई में 254, जून में 292 और जुलाई में 279 हत्याएं हुईं। अगस्त में यह संख्या घटकर 249 रह गई।
कृष्णन ने कहा, वर्ष 2023 में अप्रैल में 215, मई में 279, जून में 278 और जुलाई में हत्या के 270 मामले दर्ज किये गए। अगस्त में यह संख्या घटकर 250 हो गई। वर्ष 2022 में, राज्य में अप्रैल में 256, मई में 301, जून में 297 और जुलाई में 262 हत्याएं हुईं। अगस्त में यह घटकर 257 हो गई।
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने कहा, यह बिहार पुलिस की अक्षमता को दर्शाता है। वे कहते हैं कि मानसून से पहले अपराध बढ़ जाते हैं। राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। जबकि वे (राजग) अपने प्रशासन को डबल इंजन वाली सरकार कहते हैं। मैं कहना चाहूंगा कि इसमें एक इंजन भ्रष्टाचार का और दूसरा अपराध का है।