BPSC अध्यक्ष की नियुक्ति : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब

याचिका में भ्रष्टाचार और जालसाजी का लगाया था आरोप
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
Published on

नयी दिल्ली/पटना : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को बिहार सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आयोग के प्रमुख के रूप में मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती देने वाले वकील एवं याचिकाकर्ता ब्रजेश सिंह की दलीलों पर गौर किया। हालांकि, पीठ ने इस बात की आलोचना की कि याचिका एक वकील ने दायर की है जिसका बीपीएससी के कामकाज से कोई संबंध या लेना देना नहीं है।

पीठ ने बिहार सरकार और बीपीएससी अध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए कहा, एक वकील के तौर पर आपको इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करने से दूर रहना चाहिए क्योंकि आपका बीपीएससी से कोई संबंध या कोई लेना देना नहीं है। पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए एक न्यायमित्र भी नियुक्त किया है।याचिका में 15 मार्च, 2024 को की गई नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह सिर्फ ‘बेदाग चरित्र’ वाले लोगों को लोक सेवा आयोगों के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त करने के संवैधानिक आदेश के खिलाफ है।

जनहित याचिका के अनुसार, परमार बिहार सतर्कता ब्यूरो द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार मामले में आरोपी हैं और यह मामला पटना में एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। याचिका में कहा गया है, प्रतिवादी संख्या दो (परमार) भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। इस तरह उनकी ईमानदारी संदेह के दायरे में है इसलिए उन्हें बीपीएससी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए था। याचिका में दावा किया गया है कि परमार अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर नियुक्ति के लिए बुनियादी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते, क्योंकि वे बेदाग चरित्र वाले व्यक्ति नहीं हैं।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in