कल्पना सिंह
– गर्मियों में बढ़े सब्जियों के दाम, कई चीजों के रेट हुए दोगुने
कोलकाता : हरी सब्जियां आम आदमी की थाली से गायब होती जा रही है। गर्मी के साथ ही सब्जियों के तेवर भी तीखे हैं। हरी सब्जियों के भाव आसमान में हैं। मंडी में माल कम आने से भावों में तेजी हो रही है। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि कुछ समय तक भावों में तेजी रहेगी। गर्मी से सब्जियों की बेल नष्ट होने की वजह से उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। फलस्वरूप कई सब्जियों के दाम 15 दिनों में दोगुने तक हो गए हैं।
टास्क फोर्स के सदस्य रवींद्रनाथ कोले ने बताया कि गर्मी के सीजन में आमतौर पर सीजनल सब्जियों की आवक कम होने लगती है। मंडी में आवक घटने से सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। गर्मी की वजह से सब्जियों की सप्लाई कम हो रही है। माल भी काफी खराब हो गये हैं। वहीं बारिश भी एकदम ना के बराबर हुई है जिस कारण सब्जियों की उपज खराब हो गई है।
मांग बढ़ी, आवक कम
सब्जी विक्रेता कार्तिक ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही नींबू, कैरी सहित अन्य सब्जियों की मांग बढ़ी है, लेकिन आगे से ही माल कम आ रहा है। इसके चलते भावों में तेजी आ रही है। सब्जी विक्रेता मुन्ना के अनुसार गर्मी से बेल वाली सब्जियों के दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं। इसकी वजह गर्मी के चलते बेलों को पहुंचने वाला नुकसान है।
आलू बना सहारा
हालांकि, आलू की कीमत अमूमन 12 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर बनी हुई हैं और यह लोगों के लिए राहत की बात है। हालांकि अलग अलग जगहों अलग अलग आलू की कीतम में अंतर है। वहीं, प्याज, भिंडी, शिमला मिर्च और टमाटर के रेट बढ़ गए हैं। खरीददारों का कहना है कि खाने का जायका बनाए रखने के लिए टमाटर और प्याज तो लेना ही है। बाकी सब्जियों में भले ही कटौती करें। कोले ने बताया कि सुफल बांग्ला स्टॉल की संख्या बढ़ाई गई है, जहां बाजार दर की तुलना में सस्ती सब्जियां मिलती है। वर्तमान में सुफल बांग्ला के 500 से अधिक गाड़ियां हैं।
कुर्मी आंदोलन का भी है प्रभाव
सब्जियों की कीमतों में उछाल का एक और कारण है कुर्मी आंदोलन क्योंकि इसी के कारण बिहार और झारखंड से आने वाली सब्जियों की सप्लाई कम हो गई है।
जानें, किस सब्जी का क्या है रेट. प्रति किलो में (अलग – अलग बाजारों रेट में अंतर संभव)
बेंगन – 80
पटल – 80
भिंडी – 70
कद्दु – 30
आलू – 12
प्याज – 25
लहसुन – 120
अद्रक – 150
शिमला मिर्च 70-80
गाजर – 70
टमाटर – 40