त्रिपुरा सरकार पर तृणमूल ने साधा निशाना

लोकतंत्र की रक्षा का दावा करने वाले लोग कैसे विपरीत व्यवहार कर रहे हैं
त्रिपुरा सरकार पर तृणमूल ने साधा निशाना
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काेलकाता : त्रिपुरा में तृणमूल कार्यालय में तोड़फोड़ को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है। पश्चिम बंगाल की मंत्री डॉ. शशि पांजा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि ‘‘त्रिपुरा में भाजपा की असहिष्णु और हिंसक सरकार है। सोमवार को हुई घटना दर्शाती है कि लोकतंत्र की रक्षा का दावा करने वाले लोग कैसे विपरीत व्यवहार कर रहे हैं। वीडियो साक्ष्य स्पष्ट हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि तोड़फोड़ ‘‘पुलिस की मौजूदगी में’’ हुई जो ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। शशि पांजा ने तोड़फोड़ की तस्वीरें पत्रकारों को दिखाते हुए कहा, ‘‘यह सरकार प्रायोजित राजनीतिक आतंकवाद है। त्रिपुरा में अब कोई लोकतंत्र नहीं बचा। जब हमारे पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की जा रही थी तो पुलिस वहां खड़ी होकर देख रही थी। वही बनमालीपुर जहां से (त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री) बिप्लब देब कभी चुनाव लड़ते थे, अब सरकारी आतंक का प्रतीक बन गया है।’’ उन्होंने कहा कि तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इस घटना की ‘‘कड़ी निंदा’’ की और जिक्र किया कि कैसे उनके काफिले पर भी पहले त्रिपुरा में हमला हुआ था। शशि पांजा ने कहा, ‘‘दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने बंगाल में लोकतंत्र नहीं होने का आरोप लगाया और भाजपा नेताओं पर हमलों के लिए तृणमूल कांग्रेस को बिना किसी सबूत के जिम्मेदार ठहराया लेकिन त्रिपुरा में जो हुआ, वह भाजपा के पाखंड को साबित करता है। जो लोग दूसरों को लोकतंत्र पर उपदेश देते हैं, वे विपक्ष के खिलाफ गुंडे छोड़ रहे हैं।’’ मंत्री ने ‘‘बांग्ला भाषा का अपमान’’ करके पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के बंगालियों को ‘‘जानबूझकर’’ बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘2011 की जनगणना के अनुसार, त्रिपुरा की 67 प्रतिशत आबादी बंगाली है। अब एक समूह को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिशें हो रही हैं। हमारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसी विभाजनकारी राजनीति को हमेशा भांप लेती हैं।’’मंत्री ने तुलना करते हुए कहा कि जब हाल में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू घायल हुए थे तो ममता बनर्जी उन्हें देखने खुद अस्पताल गई थीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वह 2021 में जब घायल हुईं तो भाजपा ने उनका मजाक उड़ाया। उस समय प्रधानमंत्री ने उन पर कटाक्ष भी किए। क्या यही राजनीतिक शालीनता है?’’

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