SIR के ‘असर’ ने ठंडा कर दिया गेदे के व्यवसायियों का काम

SIR की घोषणा के बाद से ही यह व्यस्त सीमावर्ती क्षेत्र व्यापारिक और सामान्य आवाजाही के लिए लगभग ठप हो गया है। कभी दोनों देशों के नागरिकों की चहल-पहल से गुलजार रहने वाले इस स्टेशन पर अब यात्री यातायात लगभग बंद हो चुका है।
SIR के ‘असर’ ने ठंडा कर दिया गेदे के व्यवसायियों का काम
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नदिया : बांग्लादेश में तख्ता पलट के लंबे समय बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित गेदे बॉर्डर इलाके में रहने वाले लोगों और यहां के व्यवसायियों का जन-जीवन पटरी पर लौट ही रहा था कि SIR ने एक बार फिर इनके व्यवसाय और जीवन पर ‘असर’ डाल दिया है। गेदे रेलवे स्टेशन पर इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है।

SIR की घोषणा के बाद से ही यह व्यस्त सीमावर्ती क्षेत्र व्यापारिक और सामान्य आवाजाही के लिए लगभग ठप हो गया है। कभी दोनों देशों के नागरिकों की चहल-पहल से गुलजार रहने वाले इस स्टेशन पर अब यात्री यातायात लगभग बंद हो चुका है। पूरे दिन में बांग्लादेश से आने वाले लोगों की संख्या 2 से 5 तक सिमट गई है। जो इक्का-दुक्का लोग आ भी रहे हैं, वे केवल कल्याणी एम्स या कोलकाता में डॉक्टर से मिलने के लिए सभी आवश्यक कागजात की गहन जांच के बाद ही यात्रा कर रहे हैं।

यात्रियों की संख्या में इस भारी गिरावट का सीधा असर यहां के होटल, मनी एक्सचेंज, कपड़ा व अन्य क्षेत्रों से जुड़े व्यवसायियों पर पड़ा है। यही नहीं टोटो ड्राइवर्स भी सवारी के इंतजार में बस पूरा दिन ही बीता रहे हैं। व्यवसायियों का कहना है कि जहां पहले दर्जनों दुकानें चलती थीं, वहीं अब सिर्फ एक या दो चाय की दुकानें ही मुश्किल से टिमटिमा रही हैं।

मनी ट्रांसफर का काम करने वाले कुछ स्थानीय ऑपरेटरों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, SIR की घोषणा के बाद से हमारा काम लगभग बंद हो गया है। पहले हमें साँस लेने या खाने तक की फुर्सत नहीं मिलती थी और अब कोई पूछने वाला भी नहीं आता। अगर यही हाल रहा, तो हमें अपने बच्चों को लेकर सड़क पर उतरना पड़ेगा।

बांग्लादेश से आए कुछ यात्रियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में यहाँ जो ‘झमेला’ चल रहा है, उसे देखते हुए इस देश में आने से डर लगता है। उन्होंने कहा, ‘क्या पता कब किस झमेले में फंस जाएं।’ इस अंचल में ज्यादातर लोग खेतीबारी और छोटे-मोटे काम पर निर्भर करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा ही रहा तो वे आगे क्या करेंगे, कैसे जीएंगे।

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