'शहीद दिवस के बारे में घर-घर जाकर बताएंगे प्रकोष्ठ के पदाधिकारी'
कोलकाता : तारीख 21 जुलाई साल 1993, आज 31 साल पहले कोलकाता के इतिहास में एक ऐसा दिन दर्ज हुआ, जिसमें 13 लोगों की जान चली गई थी इनका कसूर बस यही था तत्कालीन राज्य सरकार से मतदाता पहचान पत्र को एकमात्र आवश्यक दस्तावेज बनाने की मांग कर रहे थे। इस आंदोलन से भयभीत होकर तत्कालीन राज्य सरकार ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इस आंदोलन का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रही थी। यह बातें संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जिला कार्यालय में दमदम बैरकपुर जिला तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कही। उन्होंने बताया कि ममता बनर्जी की ही देन है कि आज बंगाल में सबके हाथ में मतदान पहचान पत्र है। उन्होंने कहा कि जिला के 14 विधानसभा क्षेत्र में हिंदी प्रकोष्ठ के पदाधिकारी को लेकर 21 जुलाई शहीद दिवस सफल बनाने के लिए एक बैठक की गई। बैठक में सभी को यह निर्देश दिया गया कि ऐतिहासिक 21 जुलाई शहीद दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं इसकी जानकारी 14 विधानसभा क्षेत्र के हिंदी बहुल इलाकों में जनसभा और घर घर जाकर प्रकोष्ठ के पदाधिकारी व सदस्य दे। इस बैठक में टीटागढ़ नगर पालिका के चेयरमैन कमलेश साव, गारुलिया नगर पालिका के चेयरमैन अशोक सिंह उत्तर 24 परगना तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशोक शर्मा, बनगांव के सभापति केके मिश्रा, जिला सभापति जितेंद्र साहा धीरज साव विमल साव पार्षद रमेश साव नीरू पासवान डॉ विकास साव राम प्रकाश चौधरी सर्वेश चौधरी अभिजीत ओझा मदन सेठ मन्नू साव सुरभि बाजपेई सुमन यादव बबलू साव मोहन साव व गणमान्य लोग उपस्थित थे.

