नियुक्ति घोटाला: अर्पिता के घर से बरामद 54 करोड़ रुपये किसके? दोनों ने किया इनकार

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कोलकाता: नियुक्ति घोटाले में नया ट्विस्ट आया है। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवायी के दौरान 54 करोड़ की रकम को लेकर एक दिलचस्प मुद्दा उभर कर सामने आया। उक्त रकम पर न तो पार्थ चटर्जी दावा कर रहे हैं और न ही जिसके यहां से यह राशि जब्त हुई थी यानी अर्पिता मुखर्जी। इन दोनों को नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। ED की तरफ से दायर मामले में उनकी जमानत याचिका पर जस्टिस तीर्थंकर घोष के कोर्ट में सुनवायी हो रही है। इसके अलावा CBI मामले में उनकी जमानत याचिका पर जस्टिस जयमाल्य बागची के डिविजन बेंच में हो रही है।

पार्थ-अर्पिता एक दूसरे पर लगा रहे हैं आरोप

जस्टिस घोष के कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवायी के दौरान ED की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट फिरोज इदुलजी ने कहा कि 54 करोड़ की रकम के बारे में अर्पिता मुखर्जी का कहना है कि यह रकम पार्थ चटर्जी की है। दूसरी तरफ पार्थ का दावा है कि यह रकम अर्पिता की है। अब यह रकम किसकी है इस पर ठोस सबूत पेश करने बाकी हैं। एडवोकेट इदुलजी के साथ एडवोकेट अनामिका पांडे ने भी पक्ष रखा। एडवोकेट इदुलजी ने कहा कि पार्थ व अर्पिता का रिश्ता एक तरफ पारिवारिक मित्र का है तो दूसरी तरफ चाचा भतीजी का भी है। सच क्या है, यह तो ये दोनों ही जानते हैं।

आरोप है कि घोटाले की रकम अर्पिता के पास रखी हुई थी। अपा यूटिलिटी सर्विसेस का पंजिकृत कार्यालय अर्पिता के फ्लैट में था। बाबली चटर्जी फाउंडेशन के लिए 15 करोड़ में जमीन खरीदी गई थी और यह रकम पार्थ ने दी थी। एक टेक्सटाइल कंपनी का पंजिकृत कार्यालय भी अर्पिता के फ्लैट में था। अर्पिता का कहना है कि सब कुछ पार्थ का है। बहुत सारी कंपनियां बनायी गई जिनमें कुक और नौकरों को निदेशक बना दिया गया। नियुक्ति घोटाले में सीबीआई ने पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था। इसमें भी जमानत याचिका दायर की गई है। जस्टिस जयमाल्य बागची के डिविजन बेंच ने सीबीआई को एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इसमें यह बताना है कि इस घोटाले में पार्थ चटर्जी की भागीदारी कितनी थी। इसकी सुनवायी 22 मार्च को होगी। इसी तारीख को इस मामले में अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिका पर सुनवायी होनी है।

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