2002 की सूची में नहीं है नाम, 2025 में मिलेगा फॉर्म : CEO

समस्याओं का समाधान करेंगे अधिकारी, मालदह में चुनाव आयोग की समीक्षा बैठक
2002 की सूची में नहीं है नाम, 2025 में मिलेगा फॉर्म : CEO
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत मालदह में गुरुवार को चुनाव आयोग की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने अधिकारियों से चर्चा की और उन्हें स्थानीय समस्याओं के समाधान के बारे में जानकारी दी। इस बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाएगा।

बॉर्डर क्षेत्र की समस्या गृह विभाग की जिम्मेदारी

बैठक के दौरान एक सवाल के जवाब में सीईओ ने कहा कि बॉर्डर क्षेत्र से संबंधित समस्याएं चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं। यह काम गृह विभाग का है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग केवल चुनावी प्रक्रिया को लेकर काम करता है और सीमा संबंधी मुद्दों की जिम्मेदारी गृह विभाग की है।

28 मौतों का मुद्दा : रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई

ममता बनर्जी द्वारा SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया के दौरान 28 मौतों के आरोप पर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए सीईओ ने कहा, ‘हमने सभी 

चुनाव आयोग ही करेगा निर्णय

ममता द्वारा चुनाव आयोग को भेजे गये पत्र में यह आरोप लगाया गया था कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पर दबाव बनाया जा रहा है और एसआईआर प्रक्रिया को बंद करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। इस पर सीईओ ने कहा, यह मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है और आयोग ही इस पर निर्णय लेगा।

SIR प्रक्रिया की प्रगति पर रिव्यू और आगामी कदम

चुनाव आयोग की टीम ने पहले राज्य के विभिन्न जिलों में एसआईआर प्रक्रिया का रिव्यू किया था। इस दौरान नदिया, मुर्शिदाबाद और मालदह जिलों का निरीक्षण किया गया। इसके बाद, मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल 21 नवम्बर को कोलकाता में होने वाली EVM फर्स्ट-लेवल चेकिंग (FLC) कार्यशाला में भाग लेने के लिए रवाना हो गये।

मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया

मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने बैठक में कहा, अगर 2002 की मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है, लेकिन 2025 की मतदाता सूची में उनका नाम है, तो उन्हें फॉर्म दिया जाएगा और उनकी सुनवाई की जाएगी। हमारी कोशिश है कि केवल वैध मतदाताओं के नाम ही मतदाता सूची में शामिल हों।

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