शिक्षा व्यवस्था को लेकर मिथुन चक्रवर्ती ने बोला तृणमूल सरकार पर हमला

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6 महीने के लिये मुख्यमंत्री बनाने पर बदल दूंगा राज्य को
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को लेकर तृणमूल सरकार पर हमला बोला। इस दिन मिथुन चक्रवर्ती ने ईजेडसीसी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), दक्षिण बंगाल की ओर से आयोजित लीड बंगाल स्टूडेंट्स कॉनक्लेव को संबोधित किया और एबीवीपी समर्थकों के सवालों का जवाब दिया। मिथुन चक्रव्रती ने बंगाल के शिक्षा विभाग की स्थिति पर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बंगाल की शिक्षा-व्यवस्था श्मशान के करीब पहुंच गयी है। मिथुन चक्रवर्ती ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'मैं कांग्रेस छात्र परिषद में था, मेरा कोई एजेंडा नहीं है, मैं एक कैडर हूं।' उन्होंने कहा कि अगर आप जीना चाहते हैं, तो लड़ाई आपको करनी ही होगी। जीने की इच्छा महान है। उन्होंने कहा, 'मैं असफलता के साथ प्रतिभा में विश्वास करता हूं।' यह पूछे जाने पर कि सफलता का पैमाना क्या है, मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि आईने में अपना चेहरा साफ देखें, यही सफलता है। आईना झूठ नहीं बोलता हैं। उन्होंने कहा, 'हर कोई सबकी मदद करता है, लेकिन आपको भाग्य के साथ जाना होगा।' राजनेताओं को शिक्षित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज सभी राजनीतिक नेताओं को शिक्षित होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आप चाहें तो राजनीति में शामिल हो सकते हैं, छात्रों की रीढ़ मजबूत होनी चाहिए। मिथुन ने कहा कि वर्तमान में छात्रों को एकजुट होने की जरूरत है, वह छात्रों के साथ हैं, विरोध करें और एकजुट होकर विरोध करें। सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन के फेल होने पर लड़कियों पर अत्याचार होता है, अब पूरा सिस्टम करप्ट है। यदि आप एक राष्ट्र को तोड़ना चाहते हैं, तो शिक्षा बंद कर दें। उन्होंने कहा कि इस राज्य में यही हुआ है। यह बहुत सावधानी से किया जा रहा है, लेकिन बंगाल की जनता ने इससे बड़े मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ी है। कोलकाता के बुद्धिजीवी बिक चुके हैं। यदि आत्मा बिक जाती है, तो उसे वापस नहीं पाया जा सकता है। मिथुन ने कहा, '6 महीने के लिये मुख्यमंत्री बनाने पर मैं पूरे राज्य को बदल दूंगा। मेरा सवाल है कि अब भी क्या पश्चिम बंगाल भारत में है ? हमारे देश में अगर संघीय ढांचे पर सरकार चलती है तो आप (ममता बनर्जी) क्यों कानून, अदालत या अदालत के फैसले का सम्मान नहीं करती ?'

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