कोलकाता : अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार विश्वरभर में 1 जनवरी के दिन को नए साल के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों और समुदाय के लोग अपनी-अपनी संस्कृति व परपंराओं के अनुसार नया साल मनाते हैं। बंगाली समुदाय के लोगों के लिए पोइला बैसाख बहुत ही खास होता है। इस दिन से बंगाली नववर्ष की शुरुआत होती है। ऐसे में लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। कहते हैं कि पोइला बैसाख की शुरुआत मां काली के दर्शन के साथ करना शुभ माना जाता है। ऐसे में महानगर के प्रसिद्ध मंदिर कालीघाट व दक्षिणेश्वर में भक्तों की लंबी कतार दिखी। भक्तों के अंदर काफी उत्साह देखा गया। बच्चों से लेकर बूढ़े इतनी उमस वाली गर्मी में भी मां काली के दर्शन पाने के लिए घंटों तक कतार में खड़े रहे। मंदिर में मां के दर्शन करने के दौरान भीड़ इतनी बढ़ी कि पैर तक रखने की जगह नहीं बची। सिर्फ कोलकाता से ही नहीं बल्कि विभिन्न जिलों व यहां तक कि कई प्रांतों से भी लोग मां काली के दर्शन के लिए पहुंचे थे।
क्या कहना है भक्तों का
कालीघाट दर्शन करने आई मौसमी दे ने सन्मार्ग से कहा कि मैं अक्सर यहा मां काली के दर्शन के लिए आती हूं। यहा दर्शन करने के बाद मुझे बहुत ही शांति महसूस होती है। ऐसे तो मैं हमेशा अपने पूरे परिवार के साथ आती हूं पर इस बार मैं सिर्फ अपने बच्चे के साथ दर्शन करने आई हूं। बहुत गर्मी भी है पर मां का दर्शन करने के बाद ही जाऊंगी। बीके सिंह ने कहा कि मैं हर शनिवार को मां काली के दर्शन के लिए आता हूं। मैंने कालीघाट में ज्यादातर शनिवार व सोमवार को ही भीड़ उमड़ते देखा है और आज का दिन तो बहुत ही खास है।
मंदिर के पुजारी ने कहा
कालीघाट में लोगों को मां काली के दर्शन व पूजा कराने वाले पंडित बुद्धा देब ने सन्मार्ग से कहा कि दाेपहर की अपेक्षा सुबह में भीड़ थोड़ी कम थी, पर जैसे ही दिन ढलता गया मंदिर में पैर तक रखने की जगह नहीं थी।
पोइला बैसाख पर सुबह से ही कालीघाट व दक्षिणेश्वर में लगी भक्तों की लंबी कतार
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