कोलकाता : झारखंड(Jharkhand), ओडिशा (odisha) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में रह-रहकर उछाल मारने वाली मांग फिर से सुर्खियां में है। इसका नाम है कुर्मी आंदोलन। पिछले 4 दिनों से बंगाल में जारी इस आंदोलन ने आम लोगों की परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया है। दूसरे राज्य के लोग कोई इलाज के लिए बंगाल (Bengal) आया था तो कोई ऑफिस छोड़कर, पर अब ये यात्री अपने घर व काम पर जाने के लिए तड़प रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि वे पिछले 4 दिनों से स्टेशन पर ही अपनी राताें को गुजारने के लिए मजबूर हैं। पटरियों पर बैठे कुर्मी समाज के प्रदर्शनकारियों के कारण दक्षिण पूर्व रेलवे (दपूरे) को अब तक 316 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। इतनी बड़ी संख्या में ट्रेनों के रद्द होने से दक्षिण पूर्व रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। अकेले खड़गपुर मंडल को 25 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही जा रही है। इस दौरान हजारों यात्री अपने गंतव्य स्टेशनों पर जा नहीं पा रहे हैं। लोग जहां-तहां स्टेशनों पर फंसे हैं। शुक्रवार को दपूरे की 69 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा था, जबकि शनिवार को 72 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। इनमें लंबी दूरी की ट्रेनों के साथ लोकल ट्रेनें भी हैं। कई ट्रेनों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। रेलवे के अनुसार अभी भी बंगाल में इसे बड़े ही हलके रूप में लिया जा रहा है।
आंदोलनकारियों से रेलवे ने की बैठक : दपूरे के अधिकारियों का कहना है कि लिंक ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर फंसे होने के कारण वे हावड़ा, खड़गपुर और सांतरागाछी स्टेशनों तक पहुंच नहीं पा रही हैं। स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। खड़गपुर मंडल की ट्रेनों का परिचालन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य कुमार चौधरी ने बताया कि खड़गपुर मंडल में खेमाशुली और आद्रा मंडल के पुरुलिया जिले में पुस्तौर स्टेशन पर कुर्मी समाज के लोग रेल लाइन पर बैठे हुए हैं। कई दौर की बैठकों में उनसे रेल लाइन खाली करने का आग्रह किया गया, लेकिन स्थित अभी तक नहीं सुधरी है। ट्रेन पटरियों पर से जब तक प्रदर्शनकारी नहीं हटते, ट्रेनों को चलाना मुश्किल है। राज्य प्रशासन के अधिकारियों के साथ हम लगातार संपर्क में हैं। अब तक दूपरे की 316 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। इससे रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
राजमार्ग पर लगी वाहनों की लंबी कतारें : कुर्मियों द्वारा आद्रा डिविजन के कुसतौर और खड़गपुर डिविजन के खेमाशुली स्टेशन में आंदोलन करने के बाद अब आंदोलनकारी राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए हैं। इसके अलावा, आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-6 को भी जाम कर दिया है। इस वजह से राजमार्ग पर भी वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। आंदोलन के कारण दक्षिण-पूर्व रेल प्रबंधन ने अधिकतर ट्रेनों को रद्द कर दिया है।
बंगाल सरकार से पहल करने की मांग : आंदोलनकारी अपनी मांग को स्वाभिमान की लड़ाई बताते हुए पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और पूरे मामले में बंगाल सरकार भी कोई ठोस पहल नहीं कर रही है। ऐसे में आंदोलन आगे कितना दिन चलेगा, यह कोई भी रेल अधिकारी स्पष्ट रूप से कहने की स्थिति में नहीं है। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि उक्त मामला उनके संदर्भ का नहीं है। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार (Government of West Bengal) को ही पहल करने की आवश्यकता है।
कुर्मी आंदोलन की क्या मांग है? : कुर्मी जाति फिलवक्त ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आती है। विभिन्न राज्यों में रहने वाले कुर्मी समुदाय की मांग है कि उन्हें एसटी यानी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। बहरहाल, ये मांग आज की नहीं है। सालों से इस मांग को लेकर आवाज उठती रही है। दरअसल, इस समुदाय का कहना है कि ब्रिटिश राज में 1931 की अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में ये कुर्मी समुदाय शामिल था। 1950 तक कुर्मी एसटी (Kurmi ST) के तौर पर ही जाने जाते थे, लेकिन 1950 में आई लिस्ट में इन्हें एसटी से निकालकर ओबीसी (OBC) में शामिल किया गया। साथ ही आंदोलनकारी कुर्माली भाषा को संविधान के 8वें शेड्यूल में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं। इन्हें दोबारा एसटी लिस्ट में शामिल किया जाए।
कब-कब हुए आंदोलन : कुछ सालों पहले गुजरात में पाटीदार आंदोलन को देखकर झारखंड में कुर्मी समाज की मांग भी जोर पकड़ने लगी थी। खबर के मुताबिक तब झारखंड कुर्मी संघर्ष मोर्चा के नेता शैलेंद्र महतो ने कहा था कि तब के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कुर्मी समाज की पीठ पर छुरा घोंपा है। गत 7 दिसंबर, 2018 ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में कुर्मी जाति को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर रैली हुई। रैली में शामिल लोगों की पुलिस से झड़प भी हुई। फिर साल 2022 के सितम्बर में यूपी, बिहार, ओडिशा और बंगाल में बड़े तौर पर आंदोलन शुरू हुआ था, जो कि 24 सितम्बर को 100 घंटे के बाद समाप्त हुआ था। इसमें भी रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ था।
बंगाल में आबादी है 40 लाख : कुर्मी समाज (Kurmi Samaj) बंगाल (Bengal) के साथ साथ झारखंड (Jharkhand), ओडिशा (odisha) में भी बसा है। बंगाल में इनकी आबादी 40 लाख है। झारखंड ( (Jharkhand)) में कुर्मी समाज की आबादी 25 प्रतिशत है। ओडिशा में इस जाति की आबादी 25 लाख है। कुर्मी संगठनों का दावा है कि बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र की 35 विधानसभा सीटों पर इनके प्रभाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) एक बार फिर केंद्र के पास कुर्मी समाज की सिफारिश करें।
Kurmi Agitation : चौथे दिन रद्द है 316 ट्रेनें, अपने घर जाने के लिए तड़प रहे हैं यात्री…
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