कटक में एनडीआरएफ की टीम देगी दोनों श्वानों को विशेष ट्रेनिंगएनडीआरएफ की तर्ज पर तैयार हो रहा डीएमजी का डॉग स्क्वाड
कोलकाता : महानगर में कई बार जर्जर मकान ढह जाते हैं। ऐसे में मकान में रहने वाले निवासी मलबे में फंस जाते हैं। अंधेरे के अंदर वे कहां फंसे हैं, ये समझने का कोई रास्ता नहीं रहा है। ऐसे में अब घर या पुल टूटने या किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कोलकाता पुलिस के दो नए सदस्य ‘श्लोका’ और ‘मंत्रा’ मदद के लिए आएंगे। आपदा स्थल पर एक खोजी कुत्ता कोलकाता पुलिस की बचाव टीम को बताएगा कि कहां से बचाव करना है, या मलबे के अंदर कोई फंसा है या नहीं। पुलिस के अनुसार, कोलकाता में कई बार पुराने घर ढह चुके हैं और उनमें रहने वाले लोग मलबे में फंस गए थे। इसके अलावा, पुल के टूटने पर पैदल यात्रियों एवं कार-बाइक चालकों के उसके मलबे के नीचे फंसने की कई घटनाएं हुई हैं। ऐसी घटना होने पर कोलकाता पुलिस के डीएमजी की टीम वहां मलबे के अंदर फंसे व्यक्ति की तलाश शुरू कर देते हैं। बड़ी घटना होने पर केंद्रीय बचाव दल एनडीआरएफ भी मौजूद रहता है। टीम के साथ एनडीआरएफ का अपना डॉग स्क्वायड भी है।
मिलेगी काफी मदद
इस डॉग स्क्वाड में शामिल कुत्ते मलबे में कोई व्यक्ति फंसा है या नहीं इसका पता लगाने के साथ उसका सटिक पॉजिशन की जानकारी भी एनडीआरएफ कर्मियों को देते हैं। ऐसे में बचाव कार्य में शामिल एनडीआरएफ कर्मियों को काफी मदद मिलती है। अब एनडीआरएफ की तर्ज पर कोलकाता पुलिस की डीएमजी भी डॉग स्क्वाड तैयार कर रही है। फिलहाल इस टीम में दो सदस्य होंगे। इनमें श्लोका और मंत्रा भी शामिल हैं।एनडीआरएफ की तर्ज पर डीएमजी का डॉग स्क्वाड होगा तैयारकिसी भी तरह आपदा होने पर एनडीआरएफ के कर्मी, लोगों को उद्धार करने में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। इस बार एनडीआरएफ की तर्ज पर डॉग स्क्वायड की विशेष आपदा प्रबंधन टीम बनाई जा रही है। फिलहाल उस टीम में दो सदस्य हैं। वे ‘श्लोका’ और ‘मंत्रा’ हैं।
डोबर्मन है और कॉकर स्पैनियल
लालबाजार के सूत्रों ने कहा कि ‘श्लोका’ एक डोबर्मन है और ‘मंत्रा’ एक कॉकर स्पैनियल है। श्लोका चार महीने की है और मंत्रा महज दो महीने का शावक है। ‘श्लोका’ फीमेल है और ‘मंत्रा’ पुरुष है। इससे पहले कोलकाता पुलिस के कुछ श्वानों को बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र में बचाव अभियान समेत अन्य कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया था। हालाँकि, यह बहुत फलदायी नहीं था। इस बार, कोलकाता में आपदाओं से निपटने के लिए डॉग स्क्वाड का उपयोग करने की योजना बनाने के बाद, लालबाजार ने एनडीआरएफ को पत्र लिखा और कोलकाता पुलिस डॉग स्क्वाड के नए श्वानों को प्रशिक्षित करने का अनुरोध किया। एनडीआरएफ की हरी झंडी मिलते ही श्वानों की तलाश शुरू की गयी। इसके बाद दो श्वान प्रेमियों में से एक ने ‘श्लोका’ और दूसरे ने ‘मंत्रा’ देने का वादा किया। डोबर्मन ‘श्लोका’ में एख विशेष आकार है जो आवश्यकता पड़ने पर उसे विशाल खंडहरों में प्रवेश करने की अनुमति देती है। और कॉकर स्पैनियल ‘मंत्रा’ के छोटे दिखने के कारण वह वहां भी प्रवेश कर फंसे हुए लोगों की तलाश कर सकता है, जहां लोगों के प्रवेश की संभावना न हो। शुरुआत में इन्हें डॉग स्क्वायड का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें दिसंबर में ओडिशा के कटक में एनडीआरएफ प्रशिक्षण शिविर में भेजा जाएगा। वहां उन्हें तैराकी से लेकर सुदूर शिकार तक का प्रशिक्षण दिया जाएगा।