Kolkata Local Train: कोलकाता के लोकल ट्रेन से सफर करने वालों के लिए खास खबर

Kolkata Local Train: कोलकाता के लोकल ट्रेन से सफर करने वालों के लिए खास खबर
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कोलकाता : दुर्गापूजा के दौरान शियालदह डिवीजन के रेलवे मैनेजर दीपक निगम के निर्देश पर पहले से ही यात्रियों की संख्या को लेकर योजना बनाई गई थी। त्योहार के मौसम में शहरी लोकल ट्रेनों में अतिरिक्त यात्रियों का सफर कोई नई बात नहीं है। हालांकि, हाल ही में समाप्त हुए दुर्गापूजा के दिनों में शियालदह और हावड़ा डिवीजन में लोकल ट्रेनों में चढ़ने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ को पार कर गई, जो कि रेलवे अधिकारियों की भी उम्मीद से ज्यादा है। पंचमी से दशमी के बीच इन दोनों डिविजनों में लगभग 1.5 करोड़ यात्री सफर कर चुके हैं, जिसमें शियालदह डिवीजन में अकेले एक करोड़ से अधिक यात्री शामिल हैं। पिछले साल इस संख्या 95.36 लाख थी, लेकिन इस वर्ष 5.16% की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा एक करोड़ को पार कर गया है। दिवाली के चलते शियालदह डिविजन में यात्रियों की भीड़ को संभालने के लिए कई उपाय किए गए थे। विभिन्न स्टेशनों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गैलपिंग ट्रेनों को बंद किया गया और रात 12 बजे से 3 बजे के बीच शियालदह से कई महत्वपूर्ण शाखाओं पर 9 जोड़ी ट्रेनें चलाई गईं, जिससे पूजा के दिनों में दिन-रात लोकल ट्रेन सेवा उपलब्ध रही।

पूजा के दौरान 60 लाख यात्र‌ियों ने किया सफर…

हावड़ा डिवीजन में भी सप्तमी से दशमी के बीच लगभग 60 लाख यात्री सफर कर चुके हैं। पूजा के चार दिनों में हावड़ा-बर्धमान कॉर्ड और मुख्य शाखा के साथ-साथ बंडेल शाखा पर भी देर रात लोकल ट्रेनों का संचालन किया गया था। पिछले वर्ष 52.61 लाख यात्रियों की तुलना में इस वर्ष इस डिविजन में 13.21% वृद्धि हुई है। लंबी दूरी की ट्रेनों के मामले में, कोलकाता-आगरतला गरीब रथ और कंचनजंघा एक्सप्रेस में आरक्षित सीटों की तुलना में 80 से 85% अधिक यात्री सफर कर चुके हैं। विभिन्न आरक्षित सीटों पर यात्रियों की संख्या में वृद्धि के कारण ये आंकड़े सामने आए हैं। कोलकाता-जम्मू तावई और कामरूप एक्सप्रेस में सीटों का उपयोग (ऑक्यूपेंसी रेट) लगभग 165% के आसपास था। मुंबई मेल और हावड़ा-अमृतसर मेल में यह आंकड़ा लगभग 150% रहा। उत्तर बंगाल जाने वाली तिस्ता-तोर्सा और दार्जिलिंग मेल का सीट उपयोग क्रमशः 125% और 114% रहा। हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी बंधे भारत एक्सप्रेस में भी यात्रियों की संख्या आरक्षित सीटों से 5% अधिक रही। राजधानी और शियालदह-नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस में यह दर क्रमशः 114% और 110% थी। साथ ही, दिगा और पुरी जाने वाली ट्रेनों में भी टिकटों की मांग उच्चतम स्तर पर रही।

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