आसान नहीं था पम्पा के लिए टोटो चलाने का फैसला लेना… | Sanmarg

आसान नहीं था पम्पा के लिए टोटो चलाने का फैसला लेना…

विपरीत परिस्थितियों में भी संभाला पम्पा ने परिवार को
पति के बीमार होने के बाद खुद चलाना शुरू किया टोटो
सन्मार्ग संवाददाता
हावड़ा : महिलाओं को लेकर भले ही समाज में बहुत बदलाव आया हो लेकिन कई जगहों पर रुढ़िवादी विचार आज भी महिलाओं को घर की दहलीज से बाहर जाने से रोक देते हैं। ऐसे माहौल में रहने वाली पम्पा सिंह ने न केवल परिवार और पति की बीमारी के बाद घर की दहलीज पार की, बल्कि एक ऐसा काम किया, जो सिर्फ पुरुषों के लिये ही माना जाता था। बेलूड़ के वोट बागान के राजन सेठ लेन में रहनेवाली पम्पा ने अपने काम से नई उपलब्धि हासिल कर ली और बन गई है महिला टोटो ड्राइवर। हालांकि पम्पा पहली महिला टोटो ड्राइवर नहीं है लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी टाेटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। यह एक उसे अलग बनाता है।
पारिवारिक हालातों ने बदली पम्पा की राह : पम्पा एक साधारण गृहिणी की तरह अपने परिवार को संभालती थी। पम्पा के 2 बच्चे हैं। पूरे परिवार का पालन पोषण पम्पा के लिए तब मुश्किल हो गया था जब उसके पति मनिशंकर सिंह अचानक टोटो चलाते हुए ​बीमार हो गये। उन्हें डॉक्टर ने बेड रेस्ट कह दिया। एक तरफ बीमार पति व दूसरी ओर बच्चाें का भरण-पोषण। इसके अलावा घर का किराया, सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए उसने अपने कदम निकाले। ऐसे में वह क्या करती चूंकि वह ठीक से पढ़ी लिखी भी नहीं है तो ऐसे में उसने सबसे पहले टोटो चलाना ​सीखा और अब तक नहीं रुकी।
शुरू किया टोटो चलाना : पति की सेवा और दो बच्चों की पढ़ाई के लिए पम्पा ने टोटो चलाना शुरू किया। वह बाली से हावड़ा के बीच टोटो चलाती है। पुलिस की ओर से तो उसे काफी सहयोग मिलता है लेकिन जो लोग टोटो में बैठते हैं वे किराये के लिए परेशान करते हैं। उसे रोजाना 500 से 600 रुपये मिलते हैं लेकिन टोटो किराये का होने के कारण उन्हें उसका किराया देना पड़ता है। इसके बाद जाे बचता है वह रोजाना के खर्च में इस्तेमाल हो जाता है। हालांकि ये काम उसके लिए आसान नहीं था। समाज की परवाह किए बिना पम्पा अपना कार्य करती रही। जिस दौर में महिलाएं हवाई जहाज उड़ा रही हैं, ट्रेन चला रही हैं, वहां टोटो चलाकर पम्पा हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो नौकरी न मिलने पर भी मेहनत के बल पर आर्थिक तौर पर मजबूत होना चाहती है। उसके टोटो चलाने से उक्त इलाके की महिलाओं को भी सहज माहौल मिलता है।

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