स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की धूम, झंडों की बिक्री में 15 से 20% बिक्री में आयी उछाल

तिरंगा पैटर्न पर बनी पगड़ी, बैच, दुपट्टा, फ्रॉक और टी शर्ट की रही डिमांड वोकल फॉर लोकल और हर घर तिरंगा जैसे प्रोग्रामों को लेकर लोग जागरूक मार्च या अप्रैल से शुरू हो जाता है स्वतंत्रता दिवस के लिए तिरंगों का उत्पादन
स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की धूम, झंडों की बिक्री में 15 से 20% बिक्री में आयी उछाल
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : जय हिंद, जय भारत। आज 15 अगस्त यानी हमारा 79वां स्वतंत्रता दिवस है। यह एक ऐसा पर्व है जिसे सभी देशवासी, जाति-पांत और धर्म का भेदभाव भूलकर मनाते हैं। इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक हमारा तिरंगा है। ऐसे में बताया जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल झंडों की बिक्री में लगभग 15 से 20% का इजाफा हुआ है। तीन रंगों से बना यह झंडा देशवासियों के लिए शक्ति, शांति और समृद्धि का संगम है। ऐसे में कोलकाता का बाजार भी तिरंगामय रहा। देशभक्ति के रंग से सराबोर लोगों ने तिरंगे की जमकर खरीददारी की। झंडों के साथ पगड़ी, बैच, दुपट्टा, फ्रॉक और टी शर्ट जैसी तमाम चीजों की भी काफी बिक्री हुई।

लोगों में बढ़ गया है क्रेज

स्वतंत्रता दिवस हो या फिर गणतंत्र दिवस, देखा जा रहा है कि इसके प्रति लोगों में क्रेज बढ़ता जा रहा है। वोकल फॉर लोकल और हर घर तिरंगा जैसे प्रोग्रामों को लेकर लोग काफी जगरूक हो गए हैं। जगह जगह कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। चाहे कोई राजनीतिक पार्टी हो या फिर हर गली मोहल्ले में हर जगह लोग देश की शान तिरंगा झंडा फहराते हुए दिखते हैं। इस वजह से देशपर्व के मौके पर संबंधित चीजों की बिक्री काफी बढ़ जाती है।

त्योहार के अनुसार फैक्ट्री में माल तैयार करते हैं कारीगर

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए जहां झंडे बनाए जाते हैं, वहीं आम दिनों में आने वाले त्योहार के लिए सजावट के सामान बनाए जाते हैं। जैसे दिवाली से पहले उन फैक्ट्रियों में तोरण, रंगोली और अन्य सजावट के सामानों को तैयार किया जाता है। उन फैक्ट्रियों के कारीगर आम दिनों में इसी तरह के सामान बनाकर अपना गुजारा करते हैं। बताया गया कि 15 अगस्त के लिए झंडे बनाने का काम मार्च या अप्रैल से शुरू हो जाता है। हालांकि आज कल पूरे साल तिरंगे की बिक्री होती है, कभी रैलियों के लिए, तो कभी इंडिया मैच जीत जाता है तो लोग तिरंगा खरीदते हैं। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस समाप्त होने के बाद भी इसका क्रेज कम नहीं होता है।

कैसे कपड़ों का इस्तेमाल होता है झंडे बनाने में?

इस संबंध में कॉन्फिगरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुशील पोद्दार ने बताया कि झंडों को बनाने में आमतौर पर सिल्कि कॉटन कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। ये कपड़े थोड़े चमकदार होते हैं। बाजारों में ऐसे तो कई आकार के झंडे मिलते हैं, मगर ज्यादा डिमांड छोटे झंडों की होती है और यह मार्केट में 20 से 25 रुपये प्रति पीस की दर पर उपलब्ध होते हैं। वहीं सबसे ज्यादा दामों में देखें तो लोग लगभग 300 तक के झंडे खरीदते हैं, उससे ज्यादा महंगे और बड़े झंडों की मार्केट में ज्यादा डिमांड नहीं है।

कोलकाता में कितनी होलसेल दुकानें हैं झंडों की?

ऐसे ताे कोलकाता में कई दुकानें हैं जहां झंडे बेचे जाते हैं। सड़कों पर अस्थाई दुकानें लगाकर भी कई जगहों पर झंडे बिकते हैं। हालांकि कोलकाता में पूरे साल सिर्फ झंडों का कारोबार करने वाले लगभग 200 छोटी-बड़ी होलसेल दुकानें हैं। इन दुकानों में पूरे साल झंडे बेचे जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के समय तिरंगा झंडा, रामनवमी में राम और हनुमान जी की तस्वीर वाले झंडे तो चुनाव के समय विभिन्न पार्टियों के झंडों की खूब बिक्री होती है।

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